राजधानी पटना के दानापुर छावनी इलाके में शाहपुर पुल के पास मुख्य मार्ग पर हजरत सैयद शहीद पीर मुमताज शाह रहमहतुल्ला का एक अद्भुत दरगाह है. इस दरगाह के खिदमतगार मो. मुमताज फिरदौसी बताते हैं कि ये हजरत सैयद शहीद पीर बाबा का एक प्रसिद्ध दरगाह है, जो 07 जुलाई 1857 ईस्वी में बना था.

जानिए क्या है यहां की कहानी ?
इसके बारे में ये कहानी प्रचलित है कि पीर बाबा कभी काली पलटन यानी अंग्रेजी सेना में सूबेदार हुआ करते थे. अपने मजहब और धर्म को मानने वाले सैयद शहीद पीर मुमताजशाह रहमहतुल्ला एक दिन नवाज पढ़ने जा रहे थे. तभी अंग्रेजी सेना के किसी बड़े अफसर ने उन्हें नमाज पढ़ने से रोक दिया और ड्यूटी करने का आदेश दे दिया. खिदमतगार मुमताज फिरदौसी लोकल18 को आगे बताते हैं कि अंग्रेज अफसर के इस आदेश को ना मानने पर इसी जगह उन्हें शहीद कर दिया गया था.

ऐसी मान्यता है कि यहां फरियाद लेकर आने वाले फरियादियों की सारी मुरादें पीर बाबा पूरी करते हैं. 55 वर्ष के खिदमतगार फिरदौसी Local18 को बताते हैं कि इस दरगाह में मुराद लेकर आने वाले लोगों के अलावा बहुत से राहगीर भी आते हैं, जो पेड़-पौधे की छाव में बैठकर आराम करते हैं. बता दें कि इस दरगाह के अंदर कई पेड़ और बैठने के लिए चबूतरे बने हुए हैं.

हर धर्म के लोग करते हैं इबादत
खिदमतगार मुमताज बताते हैं कि यहां मुसलमान से ज्यादा हिंदू पहुंचते हैं. उनकी मानें, तो इस दरगाह की ऐसी शक्ति है कि यहां हर तरह के जादू-टोने इत्यादि का प्रभाव खत्म हो जाता है. जिनकी मुराद पूरी होती है, वे यहां गुलाब के फूल, गुलाबजल, अतर और चादर चढ़ाते हैं. बता दें कि खिदमतगार मुमताज साल 2000 से इस दरगाह की खिदमत में लगे हैं. वे आगे बताते हैं कि उनके पहले उनके वालिद मरहूम मो. रफीक साहब यहां खिदमतगार के रूप में खिदमत कर रहे थे. उनका इंतकाल 2000 में हो गया, तब से मुमताज फिरदौसी खिदमतगार के रूप में यहां काम कर रहें हैं. बताते चलें कि यहां सुबह 6 बजे से शाम के सात बजे तक दरगाह में मुमताज बैठते हैं और लोगों की परेशानियां सुनकर उन्हें अगरबत्ती का राख, ताबीज इत्यादि देते हैं. इसके लिए वे एक रुपए भी नहीं लेते हैं.