हैदराबाद । बॉम्बे हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच सुरेश की तीन साल पहले 2020 में मौत हो गई थी। तेलंगाना पुलिस ने पूर्व जज के साथ ही एक और शख्स को उन 152 लोगों में शामिल किया है, जिनका नाम पिछले साल कथित माओवादी लिंक में सामने आया था। पुलिस ने इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लगाया है।  बाद में पता चला कि मामला दर्ज होने से काफी पहले ही दो अभियुक्तों की मृत्यु हो गई थी। तेलंगाना सरकार ने पुलिस को प्राथमिकी से छह प्रमुख लोगों को हटाने का निर्देश दिया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें हाई कोर्ट के मृत न्यायाधीश और अमरुला बंदुमित्र संगम (एबीएमएस) के सदस्य रहे कदमांची नरसामा के नाम शामिल नहीं थे।
मुलुगु जिला पुलिस ने कहा कि वे प्रोफेसरों हरगोपाल, पद्मजा शाह, गद्दाम लक्ष्मण और वी रघुनाथ, गुंटी रविंदर और सुरेश कुमार को आरोपमुक्त करने के लिए स्थानीय अदालत में याचिका दायर कर रहे हैं। यह प्राथमिकी 19 अगस्त, 2022 को दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति सुरेश, जो एक प्रसिद्ध अधिकार कार्यकर्ता और इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स के सदस्य थे। उनका 11 जून, 2020 को निधन हो गया। प्राथमिकी में एबीएमएस के कदमांची नरसामा का भी उल्लेख है। नरसामा एबीएमएस के राज्य कार्यकारी सदस्य थे और 4 जुलाई, 2020 को कोविड के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। मामले को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि पुलिस व्यक्तियों के जीवित या मृत होने की जांच किए बिना अभियुक्तों के रूप में आरोपी कैसे बना सकती है?
मुलुगु के एसपी गौश आलम ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है, कि मामले में दो मृत व्यक्ति आरोपी हैं। उन्होंने कहा, हमने अगस्त 2022 में एक माओवादी शिविर पर छापे के बाद जब्त किए गए दस्तावेज के आधार पर उन्हें आरोपी घोषित किया था। अगर हमें पता चलता है कि आरोपियों में से कोई मर चुका है, तब उनके नाम मामले से हटा दिए जाएंगे। तेलंगाना माओवादी राज्य समिति के वरिष्ठ सदस्य बडे चोक्का राव उर्फ दामोदर और 151 आरोपियों के खिलाफ यूएपीए, आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। यह जानकारी तब सामने आई जब पैट्रियोटिक डेमोक्रेटिक मूवमेंट के चंद्रमौली, जिन्हें मार्च 2022 में एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, उन्होंने अपने खिलाफ सभी मामलों की जानकारी मांगने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।