*खबर छपने के बाद रेंजर व्हाट्सअप ग्रुप पर निकाल रहे भड़ास*

पहले भी विवादों में घिरे रहे रेंजर, लेकिन नहीं हुई कार्रवाही, अब मजदूर की गई जान* 

भैंसदेही भैंसदेही रेंजर की कार्यप्रणाली शुरू से ही विवादित रही है। उनकी कार्यप्रणाली से न सिर्फ विभागीय कर्मचारी, बल्कि आमजनता भी नाखुश है। यहीं वजह है कि रेंजर की कई बार शिकायतें भी हुई। यहां तक की जनप्रतिनिधियों ने भी रेंजर अमित सिंह चौहान को हटाने की मांग की थी, लेकिन विभाग ने कार्रवाही नहीं की। परिणाम रेंजर की लापरवाही से एक पुत्र के सिर से पिता का साया उठ गया। यहां सबसे बड़ा प्रश्र है कि शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर संबंधित पर कार्रवाही होती है, फिर शासन और उच्चाधिकारियों की बिना अनुमति के शासकीय भवन से ईंट-लकडिय़ां निकालने के मामले में रेंजर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाही क्यूं नहीं की जा रही? जबकि 21 मई को भैंसदेही रेंज परिसर में जर्जर भवन में ईंट निकालने का काम कर रहे मजदूर नारायण धोटे  पर दीवार गिरने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। 
*शुरू से विवादों में घिरे रहे रेंजर -* भैंसदेही रेंजर शुरू से ही विवादों में घिरे रहे है। भैंसदेही के लोकलदरी गांव में आदिवासी युवक के साथ मारपीट के गंभीर आरोप भैंसदेही रेंजर पर लगे थे। रेंजर पर आरोप था कि बकरी चराने वाले चरवाह के लकड़ी काटने की सूचना पर रेंजर ने लोकलदरी गांव में पहुंचकर युवक के साथ मारपीट की थी। जिसका वीडियो भी ग्रामीणों ने बनाया था। इस मामले में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष प्रदीप सिंह किलेदार ने कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस थाना और वन विभाग के ऑफिस पहुंचकर रेंजर पर कड़ी कार्रवाही की मांग की थी। किन्तु मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 
*व्हाट्सअप पर निकाल रहे भड़ास -* खबरों के प्रकाशन के बाद रेंजर अपनी भड़ास व्हाट्सअप ग्रुप पर निकल रहे है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर रेंजर साहब का तर्क था कि 'आप लोगों का यहीं काम है और छापो, मेरा अगले महीने ट्रांसफार्मर हो रहा है, तो और छापे जैसे कमेंट रेंजर ने किये है। इतना ही नहीं रेंजर साहब ने अब शांत क्षेत्र में जाने की भी ठान ली है। लेकिन सवाल यह है कि जिस मजदूर की मौत हुई है, उसके परिवार का क्या होगा? आर्थिक सहायता के नाम पर लगभग 50 हजार के करीब रूपये वन कर्मचारियों से एकत्रित करके दे दिये गये, क्या इतने पैसों में दो साल के बच्चे की वयस्क होते तक परवरिश और घर का गुजारा हो पायेगा?

इनका कहना है - 
मुझे भी कुछ लोगों से जानकारी मिली है कि रेंजर द्वारा साफ-सफाई नहीं डिस्मेंटल का काम कराया जा रहा था। जिसके लिए पीडब्ल्यूडी से परमिशन लेना पड़ता है। एसडीओ को मामले की जांच कर 7 से 10 दिनों में सौंपने के लिए कहा गया है। पूर्व के मामलों को लेकर सीसीएफ कार्यालय से उत्तर वन मंडल डीएफओ को जांच अधिकारी बनाया है। अब तक क्या जांच हुई, वहीं बता सकते है।

- *विजयानंतम टी आर डी एफ ओ दक्षिण वन मंडल सामान्य बैतूल*