नई दिल्ली । बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने  एक बड़ा फैसला देते हुए कहा कि एक नाबालिग द्वारा सेक्स के लिए सहमति देना कानून के तहत अस्वीकार्य है। ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पीड़िता के स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र का हवाला दिया, जिससे पता चला कि लड़की पॉक्सो अधिनियम की धारा 2 (1) के खंड (डी) के तहत एक नाबालिग बच्ची थी। आरोपी के वकील ने कहा कि पीड़िता और आरोपी के बीच अफेयर था और बाद में उनके बीच यौन संबंधों के लिए सहमति बनी। लेकिन पीठ ने कहा कि धमकी देकर या नाबालिग की खुद की सहमति का कानून की नजर में कोई महत्व नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता के वकील सहमति के पहलू पर जोर नहीं दे सकते। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक पीर मोहम्मद घोटू मोहम्मद इस्माइल (23) का महाराष्ट्र के पश्चिमी विदर्भ क्षेत्र के बुलढाणा की एक नाबालिग के साथ प्रेम प्रसंग था। लड़की पिछले साल 14 जून को उसके साथ भाग गई थी और करीब डेढ़ महीने तक यूपी के कौशांबी स्थित उसके आवास पर रही थी। कुछ दिनों के बाद, इस्माइल बुलढाणा लौट आया और 1 अगस्त को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। दरअसल लड़की ने उस पर अपहरण और 45 दिनों तक उसका यौन शोषण करने का आरोप लगाया था जिसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ा था। अदालत ने पाया कि लड़की के बयान से यह भी पता चलता है कि आरोपी ने उसके छोटे भाई को लगभग साढ़े तीन साल की उम्र में जान से मारने की धमकी दी थी, यही कारण था कि वह उसके साथ गई थी। पीठ ने कहा कि मेडिकल राय के अलावा लड़की के बयान, प्रथम दृष्टया, बलात्कार के आरोप का समर्थन करते हैं। ये कहते हुए कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।