मुंबई । अमेरिकी बांड यील्ड में तेज वृद्धि भारत जैसे उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर रही है। यह बात एक बाजार जानकार ने कही। इक्विटी बाजारों को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख कारक हैं।
एक, मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था वैश्विक विकास और वैश्विक इक्विटी बाजारों का समर्थन कर रही है, यह एक सकारात्मक बात है। दूसरा, अमेरिकी बांड यील्ड में तेज बढ़ोतरी (4.34 प्रतिशत, जो 2007 के बाद से सबसे अधिक है) भारत जैसे उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा, यह भारतीय बाजारों के लिए नकारात्मक संकेत है।
एफआईआई प्रवाह में निरंतर वृद्धि तभी होगी जब अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट आएगी। इस बात पर स्पष्टता अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक रुख में नरमी के संकेत के बाद ही सामने आएगी। उन्होंने कहा कि निवेशकों को इन रुझानों पर स्पष्टता का इंतजार करना चाहिए। इस बीच, लंबी अवधि के निवेशक हाई वैल्यू स्टॉक जमा कर सकते हैं। लार्ज-कैप बैंकों का अब उचित मूल्य निर्धारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूंजीगत सामान क्षेत्र में लार्ज-कैप की संभावनाएं उज्ज्वल हैं।