मध्यप्रदेश में महिला अधिकार और सम्मान की रक्षा अब पहले से कहीं अधिक बेहतर और पुख्ता हो गई है। बेटियों को अब बोझ नहीं समझा जाता, महिलाओं के विरुद्ध अपराध करने वालों पर तुरंत कार्रवाई की जाती है, चुनावों में हिस्सा लेकर महिलाएं जनप्रतिनिधि के तौर पर भी अपनी भूमिका निभा रही है। केवल पारिवारिक ही नहीं सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी मजबूत हुई है। महिला हितकारी योजनाओं ने एमपी में महिलाओं के लिए एक सुरक्षा कवच दिया है, जिसके साथ मध्यप्रदेश में महिलाएं निडर होकर आगे बढ़ रही हैं। 
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में महिलाओं का चहुंओर विकास हो रहा है। महिलाएं अब केवल घर की धुरी ही नहीं, अब समाज और राजनीति में उनके फैसलों की अहमियत बढ़ गई है। लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना योजना ने महिलाओं का आत्मबल बढ़ाया है। लाड़ली लक्ष्मी योजना के लाभार्थियों का परिवार अब 46 लाख बेटियों का हो गया है। बेटियों का यह परिवार हर क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। हर साल प्रदेश में दो मई को लाडली लक्ष्मी दिवस मनाया जाता है, बेटियों का मान और सम्मान बढ़ने से अब बेटियां अभिशाप के रूप में नहीं देखी जाती हैं। सरकार की छात्रवृति योजना से बेटियों को बेहतर शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है। अब तक 13 लाख 30 हजार से अधिक लाडली बेटियों को 366 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति दी जा चुकी है। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की सुनवाई होने में पहले महीनों तक जाते थे, कार्रवाई होने में देर की वजह से कई बार महिलाएं शिकायत भी नहीं करती थी, इसका समाधान ई- संवाद मोबाइल एप के जरिए ढूंढा गया, जिसमें किसी भी तरह की अभद्रता या समस्या होने पर बेटियां और महिलाएं सीधे मुख्यमंत्री से संवाद करके अपनी बात सीएम पर पहुंचा सकती है। इस एप के माध्यम से महिलाओं के साथ सीएम का सीधा संवाद कायम हो सका, जिसने जनता और सीएम के बीच एक मजबूत रिश्ते की नींव रखी। महिलाएं अब आर्थिक रूप से भी सक्षम हो रही है, स्वयं सहायता समूहों का महत्व गांव देहात ही नहीं शहरी क्षेत्र में भी बढ़ गया। मध्यप्रदेश में 32 हजार महिलाएं और बेटियां विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। महिला अधिकारों के कानून का पालन सुनिश्चत करने के लिए प्रदेश में लाडली लक्ष्मी कानून बनाया गया।