भोपाल । लोकसभा चुनाव के नजदीकी समय में प्रदेश के शासकीय कर्मचारी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। प्रदेश के 32 से ज्यादा राज्य कर्मचारी संगठनों संयुक्त रूप से सरकार को घेरने के काम करेंगे। उधर, केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने भी आंदोलन पर सहमति जताई है। संगठनों ने मांग पूरी नहीं होने पर सरकार और बीजेपी को खुली चेतावनी भी जारी की है। कर्मचारियों की बेरुखी को लेकर प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है।
कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि विधानसभा चुनाव में नई सरकार से उन्हें कई उम्मीद थीं। लेकिन, सरकार ने विधानसभा चुनाव के पहले और नई सरकार के गठन के बाद भी उनकी मांगों पर विचार नहीं किया। लिहाजा ऐसे में अब आंदोलन ही एकमात्र रास्ता बचा है। मध्यप्रदेश के कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडे ने कहा कि नई सरकार को मांगों को लेकर कर्मचारियों ने चार बार पत्र मांगों को लेकर लिखे। सरकार ने न तो मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों को चर्चा के लिए बुलाया न ही पत्रों का जवाब दिया।
पहले विरोध प्रदर्शन फिर होगी हड़ताल
कर्मचारी संगठनों ने यह निर्णय लिया है कि पहले राजधानी समेत जिला स्तर पर मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। यदि तब भी मांग पूरी नहीं की गई तो फिर सामूहिक हड़ताल के लिए तमाम कर्मचारी तैयार है। इन हड़ताल में रेलवे, बैंक, पोस्ट ऑफिस समेत अन्य कर्मचारियों ने भी सहमति जताई है।
इन मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर कर्मचारी
कर्मचारी संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि केंद्र के समान महंगाई भत्ता उनकी प्रमुख मांग है। राज्य सरकार की मनमानी के कारण चार प्रतिशत का उन्होंने नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली, नियमितिकरण, पदोन्नति समेत अन्य कई मांगों को लेकर कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। बता दें कि मध्यप्रदेश में करीब 11 लाख नियमित व अन्य सरकारी कर्मचारी है।
कांग्रेस ने किया समर्थन, चढ़ा सियासी पारा
कर्मचारियों के आंदोलनों को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने बताया कि बीजेपी सरकार सिर्फ झूठ की राजनीति करती है। बीते विधानसभा चुनावों में भी कर्मचारियों ने कांग्रेस का साथ दिया था। लेकिन, ईवीएम और प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग कर बीजेपी सत्ता में आई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी कर्मचारियों के साथ खड़ी हुई है। उधर, बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि सरकार कर्मचारी के हितों में हर संभव निर्णय लेती है। सरकार के कई निर्णय भी सर्वविदित हैं। कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने के काम कर रही है।