भोपाल । मप्र के मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी कर बॉन्ड नियमों को धता बताकर गायब हुए 1106 से ज्यादा डॉक्टरों की डिग्री खतरे में पड़ गई है। प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी होने के बाद बॉन्ड के तहत सेवाएं दिए बिना गायब हुए डॉक्टर दो साल से लगातार नोटिस देने के बावजूद जवाब नहीं दे रहे हैं। अब मप्र मेडिकल काउंसिल ने इन्हें सिर्फ 15 दिनों का वक्त देकर जवाब देने की सूचना जारी की है। दो हफ्तों में जवाब ने देने वाले डॉक्टरों के पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा के चिकित्सा महाविद्यालयों से एमबीबीएस और पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सैकडों छात्र बिना बंधपत्र की सेवाएं दिए और बॉन्ड की राशि जमा किए बिना चले गए। इस मामले में मेडिकल कॉलेजों में छात्रों की निगरानी के लिए बॉन्ड मैनेजमेंट का कोई सिस्टम नहीं था। दो साल पहले मप्र मेडिकल काउंसिल के तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ.सुबोध मिश्रा ने पड़ताल शुरू कराई तो पता चला कि दस साल पहले पासआउट हुए छात्र बॉन्ड नियमों का पालन किए बिना ही गायब हो गए। मेडिकल काउंसिल की सख्ती के बाद मेडिकल कॉलेजों के डीन ने डॉक्टरों को नोटिस जारी किए। बॉन्ड नियमों का पालन न करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ अब कार्रवाई की तैयारी चल रही है। लेकिन मेडिकल कॉलेजों में हुई इस चूक के जिम्मेदारों के प्रति चिकित्सा शिक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पाया।
मप्र मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ.आरके निगम का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों के जरिए बॉन्ड नियमों का पालन न करने वाले डॉक्टरों को दो साल से नोटिस जारी किए जा रहे हैं। अब 15 दिनों का समय देकर हाजिर होकर जवाब देने की डेडलाइन दी गई है। जो कैंडिडेट जवाब देने नहीं आते हैं उनके खिलाफ पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।