बॉलीवुड की टॉप सिंगर्स में शुमार हर्षदीप कौर 16 दिसंबर को अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करती हैं। अपनी सूफी आवाज का जादू बिखेकर संगीत की दुनिया में अलग पहचान बनाने वाली हर्षदीप कौर को उनके गाने का तरीका तो सबसे अलग बनाता ही है साथ ही उनका पहनावा भी एक दम जुदा है। आपने ज्यादातर उन्हें फुल देसी स्टाइल अटायर के साथ सिर पर पगड़ी बांधे परफॉर्म करते देखा होगा लेकिन क्या आपको इसके पीछे की वजह पता है। 

16 दिसंबर 1986 में दिल्ली में जन्मीं हर्षदीप कौर ने महज छह बरस की उम्र से संगीत सीखना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली से की है। वह आज बॉलीवुड की जानी-मानी सिंगर हैं लेकिन इसके अलावा वह चार अन्य भाषाओं पंजाबी, तमिल, मलयालम और उर्दू में भी गा चुकी हैं। यूं तो हर्षदीप संगीत की दुनिया में काफी पहले से सक्रिय थीं लेकिन उनको सबसे पहले पहचान फिल्म रंग दे बसंती के गाने 'इक ओंकार' और कंतियां करूं से मिली। इसके अलावा राजी का 'दिलबरों' गाना गाकर हर्षदीप ने हर किसी का दिल जीत लिया था। वहीं हर्षदीप का 'जुगनी' सॉन्ग, 'नचदे ने सारे', 'जालिमा', 'वारी बरसी', 'चोंच लड़ाईयां' जैसे गाने लोगों की जुबान पर चढ़ें रहते हैं।

हर्षदीप कौर ने साल 2008 में सिंगिग कंप्टीशन 'जुनून कुछ कर दिखाने का' में हिस्सा लिया था, इस शो में उन्होंने अपने मेंटर उस्ताद राहत फतेह अली खान के साथ सूफी की सुल्तान जॉनर के लिए कंपीट किया था और जीत हासिल की। इसके बाद शो में ग्रैंड फिनाले के खास गेस्ट रहे महानायक अमिताभ बच्चन ने उन्हें 'सूफी की सुल्ताना' के खिताब से सम्मानित किया था।

क्यों पगड़ी पहनकर परफॉर्म करती हैं हर्षदीप कौर
सूफी की सुल्ताना के नाम से मशहूर हर्षदीप को ज्यादातर पगड़ी में परफॉर्म करते देखा जाता है। दरअसल इसके पीछे की वजह बताई जाती है कि कंप्टीशन 'जुनून कुछ कर दिखाने का' शो में ही हर्षदीप अपने सिर को ढंककर गाना चाहती थीं, बताया जाता है कि यह धार्मिक वजह से भी जरूरी था। इसलिए उन्होंन दुपट्टे से सिर ढंकने का फैसला किया लेकिन उनके जीजा ने सलहा दी कि वह पगड़ी पहनकर जाएं। उस दौरान शो के माहौल के हिसाब से हर्षदीप एक लॉन्ग सूफी अटायर पहनती थीं और साथ में पग भी लेती थीं। ये शो जीतने के बाद यह पगड़ी उनके आउटफिट का हिस्सा बन गई जो आज भी है।