देश में सबसे ज्यादा अफीम की खेती मध्यप्रदेश के मंदसौर में होती है. चौथे चरण में यहां भी चुनाव होना है. मंदसौर के अफीम के किसान ही यहां की राजनीतिक दशा और दिशा तय करते हैं. यही कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी यहां खुद को अफीम किसानों का हितैषी बताने में दिन रात एक कर रहे हैं, लेकिन सवाल ये है कि इस बार खुद अफीम के किसानों का चुनावी मूड क्या है? इस खबर में हम आपके उस इलाके की जमीनी हकीकत बताने वाले हैं. 

 

मंदसौर के सेमलिया हीरा गांव में हमें किसानों की एक चौपाल दिखी तो हमने रुक कर इनसे बातें की. यहां सभी के पास अफीम के पट्टे हैं. अफीम के पट्टा होना यहां शान की बात भी समझी जाती है, क्योंकि अफीम का पट्टा होने का मतलब है कि आप यहां के प्रतिष्ठित किसान हैं. किसान भी ये मानते हैं कि जिंदगी अच्छी गुजर रही है, लेकिन समस्याएं भी कम नहीं हैं. आइये सबसे पहले जानते हैं कि कैस होती है अफीम की खेती और इससे जुड़ी कुछ खास बातें.

  • जाड़े में होने वाली अफीम की खेती में कुल तीन महीने का समय लगता है. अफीम की खेती बेहद नाजुक होती है और पाला पड़ने पर खराब हो जाती है. इसे नील गाय से बहुत अधिक खतरा होता है. अफीम के पौधों को चिड़ियों से भी बचाना पड़ता है. इसके कारण किसान अपनी अफीम की खेती को बच्चों की तरह पालते हैं और पूरे खेत को ऊपर से जाली से ढक देते हैं. 
  • एक किलो अफीम का सरकार सिर्फ एक हजार से पंद्रह सौ रुपए तक देती है जबकि कम से कम पांच हजार रूपए मिलने चाहिए. यही कारण है कि यहां आज भी अफीम की तस्करी होती है. 
  • अफीम के किसानों पर आए दिन एनडीपीएस एक्ट लगा दिया जाता है, जिसकी वजह से यहां हर गांव में दो तीन किसानों पर इस कड़े कानून के तहत मुकदमा दर्ज है और दर्जनों किसान जेल में हैं. 
  • यहां किसानों को दो तरह से खेती करने दिया जाता है, एक - किसान शुद्ध अफीम निकाल करके सरकार को देगा और सरकार लैब से किसान की अफीम में मॉर्फिन की मात्रा जांच करवा के कम या ज्यादा पैसे देगी. 
  • दो, हर पट्टे से 7 किलो अफीम सरकार को देने पड़ते हैं. अगर इससे कम अफीम निकली तो सरकार पट्टा कैंसिल कर देती है और दूसरे किस्म का पट्टा देती है, जिसमें किसान को पौधे से अफीम निकालने का अधिकार छीन लिया जाता है. अब किसान अफीम का पूरा डोडा इकट्ठा करके सरकार को देगा. इसमें पैसे कम मिलते हैं. 
  • अफीम की खेती में किसानों को पोस्ता दाना रख लेने का अधिकार होता है. पोस्ता दाना एक हजार रुपये तक बिक जाता है. अधिकांश किसानों को एक लाख रुपए तक पोस्ता दाना से मिल जाता है. 

पीएम मोदी के पक्ष में किसान

हमारी टीम ने कुछ और भी किसानों से बात की, उन्होंने समस्याएं बताई हैं, लेकिन लगभग सभी मोदी के पक्ष में हैं. गांव के किसानों को पीएम मोदी से ही उम्मीद है. वहीं हमारी टीम गांव के पंचायत घर में भी गई. किसानों के साथ बात की, यहां सभी पीएम मोदी को पसंद कर रहे हैं.

कांग्रेस की तरफ झुकाव

हमारी टीम एक बहुत सुंदर अकोडा गांव पहुंची. यहां एक खूबसूरत मंदिर के सामने चबूतरे पर ढेरों किसान लाइन से बैठे हुए थे. वहां एक जगह पर आई लव अकोडा भी लिखा हुआ था. यहां लगभग सभी किसानों ने अफीम की खेती में होने वाली समस्याओं को लेकर बता की. उन्होंने बताया कि मौजूदा सांसद सतीश गुप्ता दस साल से सांसद हैं, लेकिन किया कुछ नहीं है. इसीलिए इस बार कांग्रेस को वोट देंगे. किसानों ने कहा कि हमें मोदी से कोई शिकायत नहीं है. लोकल प्रत्याशी से शिकायत है, जो कि मौजूदा सांसद भी हैं. 

मौजूदा सांसद ने कई काम किए

हालांकि, जब हमारी टीम ने बीजेपी कार्यकर्ताओं और महिलाओं के साथ बातचीत की तो उनका कहना था कि हमारे सांसद ने अफीम किसानों के लिए बहुत कुछ किया है.