*"जीत जाएंगे हम तू अगर संग है"*
 जैसे गीत की पंक्तियां आज यहां भैसदेही विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के घोषित उम्मीदवार के लिए सटीक साबित हो रही है लगभग दो माह पहले ही भाजपा द्वारा घोषित किए गए उम्मीदवार को लेकर पहले दिन से ही विरोध के स्वर सुनाई देने लगे थे जो समय के साथ ही तेज होते चले गए और आज हालात यह है कि भैसदेही भाजपा का एक बड़ा वर्ग विधानसभा के इस उम्मीदवारी के विरोध में खड़ा दिखाई दे रहा है यह वह वर्ग है जो बीते कई वर्षों से पूरे जनाधार के साथ भाजपा से जुड़ा हुआ है। क्षेत्र में कथित रूप से राजनीतिक विश्लेषण करने वाले कुछ बुद्धिजीवियों की बात कहे या फिर आम भाजपाइयों की बात पर गौर करें तो निष्कर्ष आश्चर्य जनक ही आना है और यह निष्कर्ष उम्मीदवारी को लेकर ही है कई भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि वर्तमान में घोषित उम्मीदवार को उम्मीदवारी की कतई उम्मीद नहीं थी क्योंकि पिछला विधानसभा चुनाव सरकार रहते यहां भाजपा अच्छे खासे वोटो से हार गई थी। बावजूद इसके उसी उम्मीदवार को हाई कमान द्वारा फिर से उम्मीदवारी देना कार्यकर्ताओं के भी गले नहीं उतर रहा है भाजपा सरकार के द्वारा हाल ही में घोषित कई योजनाओं के क्रियान्वयन और उनके प्रचार प्रसार में कार्यकर्ता उत्साह के साथ जुड़ा हुआ है लेकिन उम्मीदवारी की घोषणा से कई कार्यकर्ता यहां निराश भी नजर आने लगे हैं अब चर्चा में तो यूं भी है कि भाजपा का यहां जीतना मुश्किल ही है हाल ही में भैसदेही विधानसभा के गुदगांव में आई जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान भी रास्ते में कई जगहों पर उम्मीदवारी को लेकर विरोध के स्वर सामने आए थे वही गुदगांव की रैली में भैंसदेही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का अपने आपको मंच से दूर रखना एक तरह से उम्मीदवारी का विरोध ही दर्शा रहा था भैसदेही क्षेत्र में संगठन के पदाधिकारी सहित पूर्व नपध्यक्ष, भाजपा के पूर्व एवं वर्तमान जिला पदाधिकारी सहित जनाधार वाला एक बड़ा वर्ग यहां विरोध में खड़ा था वहीं भाजपा के जिला महामंत्री द्वारा प्रहार संगठन से चुनाव लड़ने की घोषणा ने यहां भाजपा उम्मीदवार की मुश्किलें और बढ़ा दी है जबकि अभी जयस की आमद बाकी है भले ही भैंसदेही विधानसभा में अन्य जगहों पर विरोध के स्वर सामने नहीं आ रहे हैं और न हीं कार्यकर्ताओं में वह जोश भी नजर न हीं आ रहा है जबकि विधानसभा मुख्यालय भैंसदेही में यह विरोध आंदोलन में बदल जाएगा इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। कुल मिलाकर बात यही सामने आ रही है कि संगठन के साथ और जिम्मेदार नेताओं तथा निर्वाचित नगर सरकार ,नपाद्यक्ष ,उपाध्यक्ष एवं लगभग तीन जनपदों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के सहयोग के बिना यहां भाजपा की जीत असंभव सी है इसलिए भाजपा उम्मीदवार के लिए यह पंक्तियां सटीक बैठ रही है की *"जीत जाएंगे हम, तू अगर संग है"* लेकिन यहां संग कोई है या नहीं समझ से परे है,,,,?