छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में 26 अप्रैल को खतरनाक हमले को अंजाम देने के लिए नक्सलियों ने विशेष प्लानिंग कर रखी थी। इस खतरनाक वारदात को अंजाम देने के लिए नक्‍सलियों ने सड़क के नीचे सुरंग खोदी थी, जिसमें 50 किलो का आइइडी यानि इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगाया गया था। मालूम हो कि दंतेवाड़ा के अरनपुर में नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के निजी वाहन पिकअप को निशाना बनाकर आइइडी धमाका किया था, जिसमें 11 जवानों का बलिदान हो गया।

बस्‍तर रेंज के आइजी पी सुंदरराज ने कहा कि ऐसा लगता है कि नक्‍सलियों ने विस्‍फोटक लगाने के लिए सड़क पर सुरंग का निर्माण कर दिया था। इसका सुरक्षाबल पता नहीं लगा सके। वहीं, सूत्रों के मुताबिक, नक्सली ऐसे हमलों को अंजाम देने के लिए आइइडी लगाकर मौके की तलाश करते रहते हैं। बुधवार को नक्सलियों ने डीआरजी जवानों को अपना निशाना बनाया।पुलिस सूत्रों के मुताबि‍क, अगर जवानों के काफि‍ले के गुजरने से पहले सड़क पर सुरक्षा जांच की जाती तो विस्‍फोटक का पता लगाया जा सकता था। पता चला है कि इलाके की स्थितियों में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश मेटल डिटेक्टर करीब 20 इंच की गहराई तक दबी हुई सुरंग का पता लगाने में सक्षम हैं।

मालूम हो कि खतरनाक वारदात को अंजाम देने वाले इलाके में सुरक्षाबलों ने अपनी खासी मौजूदगी बना रखी है।अरनपुर से जगरगुंडा और बासागुड़ा इलाके में सुरक्षा बलों की मौजूदगी रहती है। ऐसे में अब यह पता लगाया जा रहा है कि नक्‍सलियों ने यहां विस्‍फोटक लगाकर इतनी बड़ी वारदात को कैसे अंजाम दे दिया। यह भी पता चला है कि इस हमले को अंजाम देने में नक्‍सलियों ने जिस विस्‍फोटक का उपयोग किया वह आमतौर पर खनन और चट्टानों को विस्‍फोट कर तोड़ने में उपयोग किया जाता है।पुलिस के अनुसार इस घटना के बाद पूरे बस्‍तर संभाग में अलर्ट जारी कर दिया गया है।