ग्वालियर ।  शहर के युवा पढ़ लिखकर भले ही सात समंदर पार नौकरी कर रहे हैं। वहीं की नागरिकता ले ली हो, लेकिन आज भी उनका दिल ग्वालियर के लिए धड़कता है। यहां की गलियां, चौराहे, बाड़ा, किला उन्हें अक्सर याद आता है। परिवार से बात करने में वह अपने शहर की खुशहाली के बारे में भी जानते हैं। उनका लगाव इतना अधिक है कि वे शहर के लिए कंट्रीब्यूशन भी करते हैं। आज प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर नई दुनिया आपको कुछ एेसे ही लोगों से परिचित करा रहे हैं।

दुनिया की सबसे लंबी कविता लिखी

कनाडा में लंबे समय से रह रहे सरन घई विभिन्न देशों के लोगों को हिंदी से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने दुनिया की सबसे लंबी 3330 शब्द में मुक्तिपथ प्रेम पथ महाकाव्य गीत लिखा है। साथ ही 15 अगस्त पर कनाडा में निकलने वाली झांकियों में उन्होंने साहित्य रथ झांकी शामिल की है, जिसमें पूरी एक्टिविटी हिंदी से जुड़ी हैं। यह रथ वह पिछले चार साल से लगातार निकाल रहे हैं। उन्होंने हिंदी की 60 किताबें लिखी हैं, जिसे लोग पसंद कर रहे हैं। उन्होंने एक उपन्यास खट्टे मीठे रिश्ते लिखवाया है, जो 66 लोगों ने मिलकर लिखा है। ये सभी अलग-अलग देशों के हैं। इसके अलावा वे हिंदी पर कई इंटरनेशनल कान्फ्रेंस करा चुके हैं।

साल में एक गांव में जाकर हेल्थ अवेयरनेस फैला रहे

बेल्जियम में रह रहे कपिल कुमार अपने देश और शहर को लेकर बहुत सेंस्टिव हैं। वह रहते बेल्जियम में जरूर हैं, लेकिन दिल अपने वतन के लिए धड़कता है। उन्होंने कोरोना काल में बिना किसी को बताए लोगों की मदद की। आज भी वह साल में एक बार इंडिया आते हैं और किसी भी एक स्टेट के एक गाव जाकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य के लिए अवेयर करते हैं। अभी तक वह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गाेवा, दिल्ली के गांवों में जा चुके हैं। अब अगले साल उनका केरल के किसी गांव जाने का है। यहां वह अकेले नहीं पहुंचते। विदेश से अन्य एनआरआई को भी साथ लाते हैं।

शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करने वाली संस्थाओं की करते हैं मदद

आर्मी बजरिया कम्पू में निवासी विकास भदौरिया पिछले 8 साल से यूएसए शकागो में हैं। उनका हर साल ग्वालियर आना होता है। उनका परिवार ग्वालियर में ही है। वह रहते भले ही वहां हैं, ग्वालियर में क्या चल रहा है। इसकी पूरी जानकारी उन्हें रहती है। वह समय-समय पर शिक्षा और स्वच्छता पर काम कर रहीं संस्थाओं की मदद करते हैं। इसे वह कभी इंटरनेटमीडिया पर नहीं डालते। उनका कहना है कि जो लोग समाज के लिए अच्छा काम कर रहे हैं। उनकी मदद करना हम सक्षम लोगों की जिम्मेदारी बनती है। इसीलिए उन्होंने अपनी इस मुहिम से अन्य दोस्तों को भी जोड़ा है। वृद्धाश्रम और स्वर्ग सदन की करते हैं मदद।

जब भी आते हैं वृद्धाश्रम जाकर गुप्त दान करते हैं

न्यू जसी में साफ्टवेयर इंजीनियर विपुल शर्मा का पूरा परिवार ग्वालियर में रहता है। उनका यहां एक साल में एक ही बार हो पाता है। लेकिन जब भी आते हैं तब वृद्धाश्रम, स्वर्ग सदन जाकर गुप्त दान करते हैं। उनका कहना है कि जिनका कोई नहीं है, उनके लिए हमें आगे आना चाहिए। उनकी बहन रिचा लंदन में है। वह भी जब ग्वालियर आती हैं, तो ऐसी जगहों पर जाकर मदद का हाथ बढ़ाती हैं। विपुल को न्यू जर्सी में 12 साल और रिचा को लंदन में 10 साल हो चुके हैं।