धार   खलघाट बस हादसे में नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की लापरवाही सामने आई है। यहां नर्मदा नदी में ब्रिज से बस गिरने पर 13 लोगों की मौत हो गई थी। PTRI (पुलिस ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने हादसे के 21 दिन बाद सोमवार को जांच रिपोर्ट सौंपी। PTRI एडीजी जी. जनार्दन के मुताबिक घटनास्थल का निरीक्षण कर हादसे की वजहों को लेकर रिसर्च कर रिपोर्ट बनाई गई है। इसमें 4 बड़ी लापरवाहियां सामने आई हैं। यदि ब्रिज में खामियां नहीं होतीं तो हादसा रोका जा सकता था।

रिपोर्ट में ये चार बड़ी लापरवाही

लोहे की रेलिंग नहीं होना: ब्रिज में लोहे की रेलिंग नहीं थी। रेलिंग सीमेंटेड है। रेलिंग लोहे की होती तो बस नदी में गिरने से बच सकती थी।
रंबल स्ट्रिप्स: ब्रिज के अप्रोच रोड में रंबल स्ट्रिप्स नहीं हैं।
साइन बोर्ड: ब्रिज के आस-पास सड़क पर कहीं भी साइन बोर्ड नहीं मिले, जो दुर्घटना संभावित क्षेत्र, पुल के बारे में चालकों को सचेत करते हों।
स्पीड लिमिट: ब्रिज के पास स्पीड लिमिट के लिए इंतजाम नहीं थे। स्पीड लिमिट के साइन बोर्ड तक नहीं लगे मिले।

17 जुलाई को हुए हादसे में 13 लोगों की गई थी जान

17 जुलाई को धार जिले के खलघाट में महाराष्ट्र रोडवेज की बस नर्मदा नदी में जा गिरी थी। बताया जा रहा है कि खलघाट में टू-लेन पुल पर एक वाहन को ओवरटेक करते समय बस बेकाबू हो गई। ड्राइवर ने बस से नियंत्रण खो दिया और बस नदी में जा गिरी। बस इंदौर से महाराष्ट्र के अमलनेर जा रही थी। इंदौर से घटनास्थल की दूरी करीब 90 किमी है।

दो जिलों की सीमा पर बना है पुल

हादसा आगरा-मुंबई (AB रोड) हाईवे पर हुआ था। यह रोड इंदौर से महाराष्ट्र को जोड़ता है। जिस संजय सेतु पुल से बस गिरी, वो दो जिलों धार और खरगोन की सीमा पर बना है। पुल का आधा हिस्सा खलघाट (धार) और आधा हिस्सा खलटाका (खरगोन) में है।

चाय-नाश्ता करने रुके थे यात्री

बताया जाता है कि बस MH40 N-9848 सुबह 9 से 9.15 बजे खलघाट से 12 किलोमीटर पहले दूधी बायपास किनारे एक होटल पर रुकी थी। यहां 12-15 यात्रियों ने चाय-नाश्ता किया। बाकी सवारी अंदर बैठी थी। अंदर कितनी सवारी यह तो पता नहीं, लेकिन बस में 30 से 35 सवारी होंगी।