बैतूल    सदुपयोग करने से धन बढ़ता है और गलत उपयोग करने से घट जाता है। इसीलिए धन का सदुपयोग करना सीखें। यह बात पं. प्रदीप मिश्रा ने कोसमी में आयोजित की जा रही मां ताप्ती शिव महापुराण कथा के पहले दिन बड़ी संख्या में उमड़े भक्तों से कही। सोमवार को दोपहर एक बजे से कथा प्रारंभ होने से पहले ही पंडाल भक्तों से भर गए थे। सड़कों पर बड़ी संख्या में भक्त कथा स्थल पर जाते हुए नजर आ रहे थे। 18 दिसंबर तक होने वाली कथा में आ रहे भक्तों के लिए नगर के लोगों द्वारा जगह-जगह पानी, चाय, नाश्ता और भोजन का इंतजाम किया गया है। भक्तों को कथा स्थल पर पहुंचाने के लिए भी कई लोगों ने वाहन की निश्शुल्क सेवा प्रदान की है। कथा स्थल पर पहुंचने के बाद

पं. प्रदीप मिश्रा ने सबसे पहले सूर्य पुत्री मां ताप्ती की पूजा अर्चना की। इसके पश्चात व्यास पीठ पर आसन ग्रहण करने के बाद यजमानों ने पं. मिश्रा का फूल माला पहनाकर स्वागत किया। पंडित मिश्रा ने कहा कि हम सभी मंदिर जाते हैं। भजन कीर्तन करते हैं। शिवमहापुराण की कथा कहती है कि हमें यह ज्ञात नहीं था हमें एक लोटा जल चढ़ाने का क्या फल मिलेगा?

एक लोटा जल महादेव को चढ़ाने से 33 कोटि देवी देवताओं का अभिषेक हो जाता है यह हमें ज्ञात नहीं था। जब हमने भगवान शंकर को जाना तो भोलेनाथ की भक्ति के बल पर हमें ज्ञान हुआ कि भगवान का स्मरण करने का फल क्या मिलता है। उन्होंने कहा कि बैतूल में हो रही कथा में लाखों भक्त आए हैं। यहां पर श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो इसके लिए बैतूलवासी पूरी तरह से जुटे हुए हैं। इसके लिए मैं बैतूलवासियों को नमन करता है उन्हें साधुवाद देता है।

पेट दिया है तो भोजन भी देगा भोलेनाथः

पं. मिश्रा ने कहा कि यदि भगवान भोलेनाथ ने जन्म दिया है तो मृत्यु भी निश्चित है। ठीक इसी तरह से यदि पेट दिया है तो उसके लिए भोजन की व्यवस्था भी भोलेनाथ स्वयं करेंगे। लेकिन पेटी भरने की जवाबदारी भोलेनाथ की बिल्कुल नहीं है। कुटुम्ब का पेट भी भरने की जवाबदारी भोलेनाथ उठाते हैं और वह कुछ ना कुछ ऐसा जरिया आपके सामने ला देंगे जिससे की आपका और आपके परिवार का पेट भर सकें।


लेकिन कर्म तो आपको ही करना पड़ेगा। बिना कर्म किए पेट भी नहीं भर पाएगा। पं. मिश्रा ने कहा कि ईश्वर सभी को धन भी देता है। धन का सद्पयोग करने से धन बढ़ता है जबकि गलत उपयोग करने से घट जाता है। धन का धर्मार्थ में, परिवार की जरूरतों को पूर्ण करने में उपयोग किया जाए तो यह बढ़ता है। लेकिन इसे गलत तरीके से खर्च किया जाए तो इसका घटना प्रारंभ हो जाता है।

उन्होंने दूसरा उदाहरण देते हुए समझाया कि ईश्वर ने नेत्र दर्शन करने के लिए दिए हैं। अच्छा पढे के लिए दिए हैं लेकिन जब इनका गलत उपयोग किया जाता है तो इसके दुष्परिणाम भी भुगतने होते हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी को फैशन और व्यसन से बच कर रहना ही होगा। शराब, जुआ, वेश्यावृत्ति, मांसाहार आदि व्यसन ऐसे हैं जिनमें धन जाना शुरू होता है तो गड़बड़ शुरू हो जाती है। ऐसा होने पर ज्यादा दिन का ठिकाना नहीं रहता है।


बेटियां पिता को ही दें कन्यादान का अवसरः

कथा सुनाते हुए पं. मिश्रा ने कहा कि बेटियां परायों के दिखावे, आडंबर और फैशन के झांसे में न आएं और मनमर्जी किए बगैर कन्यादान का अवसर केवल अपने पिता को दें। सनातन धर्म कहता है कि बेटी का कन्यादान करने वाले माता-पिता को कभी 94 नर्क में नहीं जाना पड़ता। बेटियां ही पिता को स्वर्ग या नर्क में पहुंचाती है। अपनी बात स्पष्ट करने के लिए उन्होंने दिल्ली में श्रद्धा के हुए हश्र की जानकारी भी। वहीं पिताओं को भी सीख देते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी बेटियों का विवाह उनसे दोगुनी योग्यता और विद्वता वाले वर से ही करें। इसके लिए उन्होंने भगवान विश्वकर्मा, दक्ष प्रजापति और राजा जनक का उदाहरण भी दिया। उन्होंने यह बात भी कही कि गाय, लक्ष्‌मी और बेटी यदि गलत जगह दे दें तो देने वाले को रोना पड़ता है।


टेंट और साउंड की व्यवस्था सुधारें:

कथा को विराम देने के बाद पं. मिश्रा ने कहा कि पंडाल के बाहर बड़ी संख्या में भक्त खड़े हुए हैं। इस कारण और पंडाल लगाए जाएं ताकि भक्तों को परेशानी न हो। उन्होंने साउंड की व्यवस्था भी दुरूस्त करने के लिए आयोजकों से कहा।

झमाझम वर्षा से बढ़ी परेशानीः

शाम करीब चार बजे से अचानक झमाझम वर्षा प्रारंभ हो गई। इससे कथा सुनने के लिए पहुंचे भक्तों को घर वापस जाने के दौरान बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। महिलाएं, बच्चे वर्षा के कारण भीग गए और कथा स्थल पर कीचड़ के कारण कई लोगों के वाहन भी फंस गए।