मध्य प्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी कई मीडिया संस्थानों के सर्वे में सरकार बनाती हुई दिखाई दे रही है वहीं दूसरी और जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के लोकार्पण का निमंत्रण स्वीकार कर इसकी जानकारी ट्वीट करते हुए सोशल मीडिया पर साझा की गई, वैसे ही राम मंदिर का मुद्दा लोकार्पण के रूप में अचानक सुर्खियों में आ गया। इस घोषणा के बाद से ही राम मंदिर लोकार्पण का कार्यक्रम सोशल मीडिया में पहले नंबर पर बना हुआ है ‌। कुल मिलाकर मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के बीच में ही 22 जनवरी के दिन श्री राम मंदिर का लोकार्पण कार्यक्रम प्रधानमंत्री के द्वारा संपन्न होने की खबर सामने आने के बाद आगामी विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की तस्वीर वर्ष 1990 की विधानसभा तस्वीर की तरह साफ दिखाई देने लगी है ।


 विधानसभा चुनाव से पूर्व संपूर्ण मध्य प्रदेश के ग्राम स्तर तक पहुंचेगे विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम । 

मध्य प्रदेश में राम मंदिर के कार्यक्रमों से अब  मध्य प्रदेश के लगभग 90% ग्राम पंचायत से लेकर ग्रामीण स्तर तक की चौपाल , स्थानीय ग्रामीण मंदिर जुड़ जाएंगे । जिसका धार्मिक स्तर पर बड़ा लाभ भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश की राजनीति में आने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान दिखाई देगा ।
राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले विश्व हिंदू परिषद पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। देश के दो लाख गांव और पांच लाख मंदिर को समारोह से जोड़ने के लिए बीएचपी कार्यकर्ता हर राज्य का दौरा करेंगे। इन राज्यों में वह पांच राज्य भी हैं, जहां नवंबर में मतदान होना है। इसके अलावा दिवाली की रात राम मंदिर के नाम से पांच दीये जलाने का आह्वान के साथ विश्व हिंदू परिषद अभियान चलाने जा रही है। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जब बीएचपी ने समर्पण अभियान चलाया था, तब उससे देश के 62 करोड़ लोग जुड़े थे। विधानसभा चुनाव से पहले चलने वाले अभियान का असर मध्यप्रदेश और राजस्थान में प्रभावी हो सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले चुनावी राज्यों में राम के नाम का फायदा बीजेपी को मिल सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का जिक्र कर चुके हैं। आने वाले 15 दिन चुनाव प्रचार में राम मंदिर छाया रहेगा।


 मंदिर आंदोलन के पश्चात 1990 का इतिहास दोहरा सकता है मध्य प्रदेश । 

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे अयोध्या में राम मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन स्वीकार किया है तभी से जिस तरह से सोशल मीडिया की सुर्खियां राम मंदिर को लेकर ट्रेंडिंग पर दिखाई दे रही है उसको लेकर इतना स्पष्ट है कि इसका सीधा-सीधा लाभ मध्यप्रदेश में आने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिलने जा रहा है । एक तरफ जहां विश्व हिंदू परिषद अपना बड़ा कार्यक्रम मध्य प्रदेश के चुनाव से पूर्व ही अर्थात दीपावली के आयोजन से पूर्व ही प्रदेश के ग्राम स्तर तक आयोजित कर रहा है,  दूसरी ओर राम मंदिर आंदोलन के पश्चात वर्ष 1990 में जिस तरह का परिदृश्य भारतीय जनता पार्टी का कई प्रदेशों में दिखाई दिया था उसका असर मध्य प्रदेश में वर्ष 1990 में 220 विधानसभा सीट जीतने का इतिहास सामने आया था ।
राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत भले ही उत्तरप्रदेश के अयोध्या में शुरू हुई, मगर बीजेपी को इसका पहला चुनावी लाभ मध्यप्रदेश और राजस्थान में मिला था। 1990 में मध्यप्रदेश में बीजेपी ने 220 सीटें जीतकर सरकार बनाई। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से ज्यादा 39.14 प्रतिशत वोट भी हासिल किए थे। राम लहर के कारण ही कांग्रेस 250 सीटों से 56 पर सिमट गई थी। इस चुनाव में बीजेपी को 162 सीटों का फायदा हुआ था और सुंदरलाल पटवा दूसरी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि बाबरी विध्वंस के बाद 1992 में केंद्र की नरसिंह राव ने मध्यप्रदेश में बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद दो चुनावों में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सत्ता हासिल की, मगर बीजेपी भी तीन अंकों में यानी 100 से ज्यादा सीटें हासिल कर मजबूत बनी रही। 1993 और 1998 में सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस और बीजेपी के वोट प्रतिशत में एक फीसदी का अंतर रहा। 2003 में हिंदुत्व और विकास का कॉम्बिनेशन बनाया तो बीजेपी सत्ता में आ गई। छत्तीसगढ़ में भी राम मंदिर आंदोलन का असर देखा गया, क्योंकि उस दौर में मध्यप्रदेश का बंटवारा नहीं हुआ था।