लंदन । वैज्ञानिकों की एक टीम ने अत्याधुनिक कैमरे के जरिये ब्रह्मांड में सबसे भारी रासायनिक तत्वों के निर्माण की गुत्थी को सुलझाने में मदद की है। ब्रिटेन में शेफील्ड विश्वविद्यालय के एक भारतवंशी खगोलशास्त्री एवं उनकी टीम ने यह कमाल कर दिखाया है। 
इस बार में शेफील्ड विश्वविद्यालय के भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर विक ढिल्लों ने कहा कि कैमरा गामा-किरण विस्फोट के स्थान को इंगित करने वाला पहला उपकरण है जिसने किलोनोवा विस्फोट की शुरुआत का संकेत दिया है। ढिल्लों अल्ट्राकैम परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं।एक किलोनोवा दो घने न्यूट्रॉन तारों का विलय होता है और यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि माना जाता है कि उनके विस्फोट से सबसे भारी तत्व बनते हैं, जिनमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले अधिकांश सोना, प्लेटिनम और यूरेनियम शामिल हैं। 
उन्होंने कहा, ‘यह केवल दूसरा सुरक्षित किलोनोवा है जिसका पता चला है। किलोनोवा विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि सोना, प्लेटिनम और यूरेनियम सहित यहीं पर आवर्त सारणी के अधिकांश भारी तत्व पैदा होते हैं।’ढिल्लों ने कहा, ‘हमारा कैमरा अल्ट्राकैम गामा-रे विस्फोट के स्थान को इंगित करने वाला पहला उपकरण था, जो अब तक देखा गया दूसरा सबसे चमकीला उपकरण था, जिसने किलोनोवा विस्फोट की शुरुआत का संकेत दिया।’