सापना की नहरों का सीमेंटीकरण करने की निविदा मंजूर, जल्द प्रारंभ होगा काम

 

बैतूल। सापना मध्यम सिंचाई परियोजना की 52 किमी लंबी नहरों का सीमेंटीकरण करने का रास्ता साफ हो गया है। इस कार्य के लिए 8.27 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी। प्रमुख अभियंता स्तरीय निविदा समिति द्वारा 26 दिसंबर 2022 को लिए गए निर्णय के अनुसार सापना मध्यम परियोजना विस्तार नवीनकरण एवं आधुनिकीकरण अन्तर्गत नहर लाईनिंग का कार्य, रिसेक्सनिंग पक्के कार्यों सहित की वित्तीय निविदा में न्यूनतम निविदाकार मेसर्स श्री राम कंस्ट्रक्शन कम्पनी ग्वालियर की निविदा जो मार्च 2021 में संशोधित यू.एस. आर. 2017 पर प्राक्कलित राशि रू. 827.99 लाख से 2.11 (दो दशमलव एक एक) प्रतिशत कम (8,10,52,358,11) है की स्वीकृति सहर्ष प्रदान की गई है। अनुबंध के पूर्व ठेका राशि की पांच प्रतिशत परफार्मेंस सिक्योरिटी निविदाकार से जमा कराई जाने का निर्णय भी समिति ने लिया है।  अभी तक कच्ची नहरें होने से पानी बर्बाद हो जाता था। अब पानी की बचत होने से किसानों को तीसरी फसल के लिए भी पानी मिल सकेगा। जलाशय की 12 किमी लंबी डी-1 नहर पूरी तरह से सीमेंटीकृत की जाएगी। नहरों का लेवल बनाने के साथ ही कुलाबे, गेट, पुलों की भी मरम्मत की जाएगी। डी-2 नहर का आठ किमी लंबाई का मुख्य भाग और मुख्य नहर का 660 मीटर का हिस्सा सीमेंटीकृत होगा। मुख्य नहरों से निकलने वाली माइनर नहरों में भी ऊपरी हिस्से में एक से तीन किमी का क्षेत्र सीमेंटीकृत करने के साथ ही गेट, कुलाबे लगाए जाएंगे।  ग्राम सोहागपुर के पास माचना नदी पर 64 साल पहले वर्ष 1956 में सापना डैम का निर्माण किया गया था। इसकी जल संग्रहण क्षमता 505.505 एमसीएफटी है। जल उपभोक्ता संथा के पूर्व अध्यक्ष विवेक वर्मा और महेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि जलाशय से पलेवा और दो सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। पूरा भरा न होने पर एक सिंचाई के लिए ही पानी मिलता है। तीन बार पानी दिए जाने में करीब 55 दिन नहर चलाई जाती है और इस दौरान कच्ची नहरों से 50 से 80 एमसीएफटी पानी बर्बाद हो जाता है। यह पानी बचने से कमांड क्षेत्र में गर्मी की तीसरी फसल के लिए एक पानी अतिरिक्त मिल सकेगा। इस कार्य के लिए पूर्व सांसद हेमंत खंडेलवाल और विधायक निलय डागा ने भी प्रयास किए थे।