वैश्विक मंदी के डर से दुनियाभर की प्रौद्योगिकी कंपनियां बड़े स्तर पर छंटनी कर रही हैं। दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी पांच फीसदी यानी 11,000 तक कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा सकती है। माइक्रोसॉफ्ट में इसे अब तक की सबसे बड़ी छंटनी माना जा रहा है। कंपनी जुलाई में भी 1,000 कर्मियों को निकाल चुकी है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने कहा कि आज हम ऐसे बदलाव कर रहे हैं, जो हमसे जुड़े व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण है। निकाले जाने वाले कर्मचारियों को सूचना दे दी गई है। इसमें से कुछ को तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। इस कदम से कंपनी को करीब 1.2 अरब डॉलर की बचत होगी।
इस बीच, विभिन्न रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरियों के लिहाज से नए साल की शुरुआत खराब रही है। अमेजन समेत अन्य कंपनियां जनवरी के पहले छह दिनों में 30,611 लोगों को निकाल चुकी हैं। शेयरचैट ने भी 20 फीसदी छंटनी की घोषणा की है।

प्रभावित कर्मियों को क्षतिपूर्ति

माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि प्रभावित कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति भुगतान के साथ छह महीनों तक स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं दी जाएंगी। साथ ही, उन्हें दो महीने पहले नौकरी से निकालने का नोटिस दिया जाएगा।

आगे और भी खतरा

मॉर्निंगस्टार के विश्लेषक डैन रोमनॉफ के हवाले से रॉयटर्स ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट में छंटनी का एक और दौर बताता है कि हालात बेहतर नहीं हो रहे हैं। प्रौद्योगिकी क्षेत्र जल्द स्थिर नहीं होने वाला है। नौकरियों के लिहाज से आगे हालात और खराब होंगे।
माइक्रोसॉफ्ट में 30 जून, 2022 तक करीब 2.21 लाख कर्मचारी थे। इनमें 1.22 लाख कर्मचारी अमेरिका में कार्यरत हैं, जबकि 99,000 भारत समेत अन्य देशों में हैं।

टीसीएस समेत शीर्ष-4 घरेलू कंपनियों में भर्ती 97 फीसदी घटी

देश की चार सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों टीसीएस, विप्रो, इन्फोसिस और एचसीएल टेक में भर्तियों में 97 फीसदी की गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 की दिसंबर तिमाही में चारों कंपनियों ने शुद्ध रूप से 1,940 कर्मचारी जोड़े। यह पिछली 11 तिमाहियों में सबसे कम भर्ती है। 2021-22 की समान तिमाही में इन चारों कंपनियों ने 61,137 लोगों को नौकरियां दी थीं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से तुलना करें तो भर्तियां 94 फीसदी घटी हैं। 
दिसंबर, 2022 तक टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 2,197 घट गई। इस दौरान कंपनी का एट्रिशन रेट भी घटकर 21.3% रह गया।

विप्रो का एट्रिशन रेट 21.2% पर आ गया। वहीं, इन्फोसिस का एट्रिशन रेट घटकर 24.3% और एचसीएल का 21.7 फीसदी रह गया।
छंटनी के बीच इस साल हर पांच में से चार यानी 80 फीसदी भारतीय पेशेवर नौकरी बदलने की तैयारी में हैं। ये पेशेवर उन भूमिकाओं में नौकरी पाना चाहते हैं, जिसमें अच्छे वेतन के साथ कार्य और जीवन के बीच संतुलन बने रहने की गुंजाइश हो। लिंक्डइन की ‘आर्थिक ग्राफ’ रिपोर्ट के मुताबिक, 45-54 साल के 64 फीसदी भारतीय पेशेवर नौकरी बदलना चाहते हैं। इनके मुकाबले 18-24 साल के 88 फीसदी युवा नई नौकरी की तलाश में हैं।

टियर-2 शहरों की महिलाएं अब श्रमबल का हिस्सा बनने को लेकर उत्साहित हैं। वे कामकाज के घंटों में सुविधा और बेहतर आमदनी के अवसरों के लिए कुछ हटकर भूमिकाओं में भी काम करने को तैयार हैं। पेशेवर नेटवर्किंग मंच ‘अपना’ के मुताबिक, श्रम गहन क्षेत्रों मसलन डिलीवरी, लैब टेक्निशियन, कारखाने में काम करने और ड्राइवर के रूप में नियुक्ति के लिए महिलाओं के आवेदनों में 34% की बढ़ोतरी हुई।