कांग्रेस की चुनाव समितियों में एसटी - एससी साइड लाइन
महिलाओं को भी मिला नाम मात्र का प्रतिनिधित्व
इंदौर । मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के आगामी चुनाव के लिए कांग्रेस के द्वारा आज घोषित की गई दोनों कमेटियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधियों को दरकिनार कर दिया गया है । इन कमेटियों में महिलाओं को भी नाम मात्र का ही प्रतिनिधित्व मिल सका है ।
हाल ही में इंदौर में आदिवासी समुदाय को अपनी और आकर्षित करने के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने आदिवासी पंचायत में भाग लिया था और आदिवासी वर्ग को साथ देने का भरोसा दिलाया था । इस भरोसे की आज ही हवा निकल गई है। आज अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सबसे महत्वपूर्ण इलेक्शन कमेटी घोषित कर दी गई है । इस कमेटी में 20 सदस्य लिए गए हैं जिसमें अनुसूचित जाति के मात्र दो और अनुसूचित जनजाति के मात्र 3 सदस्य हैं । इसके साथ ही अल्पसंख्यक वर्ग से मात्र 1 सदस्य हैं । इसके विपरीत ओबीसी और ब्राह्मण वर्ग के 5-5 और राजपूत समाज के 3 प्रतिनिधि लिए गए हैं । इसके साथ ही कांग्रेस के द्वारा बनाई गई चुनाव अभियान समिति में कुल 34 सदस्य लिए गए हैं । इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से मात्र चार - चार प्रतिनिधि लिए गए हैं । अल्पसंख्यक वर्ग से एक प्रतिनिधि को, ओबीसी से 9, ब्राह्मण वर्ग से 7 और राजपूत वर्ग से 7 प्रतिनिधि लिए गए हैं । ध्यान रहे कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 17%, अनुसूचित जनजाति की आबादी 21% और अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी 9% है । ऐसे में कांग्रेस के द्वारा निर्णय लेने वाली कमेटियों से इन सभी वर्गों की उपेक्षा करते हुए उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। महिलाओं को आगे लाने का दावा करने वाली कांग्रेस के द्वारा इन दोनों समितियों में नाम के लिए महिला प्रतिनिधि ली गई है ।
नामी प्रतिनिधियों को किया दूर
कांग्रेस के द्वारा इन समितियों के गठन में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के सभी नामी प्रतिनिधियों को दूर कर दिया गया है । वरिष्ठ नेता उमंग सिंगार हीरालाल अलावा प्रेमचंद गुड्डू सहित सभी जमीनी नेताओं को इन कमेटियों से दूर रखा गया है । इसके विपरीत एक कमेटी में जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हैं तो वहीं उनके बेटे नकुल नाथ को भी लिया गया है । इसी तरह से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं तो उनके साथ ही उनके भाई लक्ष्मण सिंह को भी लिया गया है ।
वैश्य समाज को प्रतिनिधित्व ही नहीं
कांग्रेस के द्वारा गठित की गई इन दोनों महत्वपूर्ण कमेटियों में वैश्य समाज को कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। जैन, अग्रवाल, खंडेलवाल, माहेश्वरी जैसे किसी भी समाज के एक भी प्रतिनिधि को इसमें से एक भी कमेटी में नहीं लिया गया है।