*प्रभुश्री राम के प्रत्युञ्चा चढ़ाते ही टूटा शिव धनुष,सीता ने श्रीराम को पहनाई वरमाला*

भैंसदेही:- रामलीला मंचन के दूसरे दिन मुनि विश्वामित्र से राम लक्ष्मण आज्ञा लेकर जानकपुरी घूमने जाते है। जहाँ पुष्पवाटिका में उन्हें माता सीता मिलती है जो गौरी पूजन करने जाती है। माता सीता माँ गौरी से मन ही मन  श्रीराम को वर के रूप में मांगती है। तत्पश्चात् विश्वामित्र राम लक्ष्मण को सीता स्वयंवर में जनक के दरबार में लेकर जाते है। जहाँ बड़े बड़े योद्धाओ  के साथ बानासूर के साथ रावण भी धनुष यज्ञ में आते है। जहाँ दोनों मित्र एक दूसरे से मिलकर बात करते है और हालचाल जानते है। धनुष यज्ञ को लेकर दोनों में विवाद होता है इस दौरान बानासूर शिव धनुष को प्रणाम  करके वापस चला जाता है। रावण जैसे ही धनुष तोड़ने की कोशिश करता है तभी आकाशवाणी होती है की है रावण आपकी बहन को कोई राक्षस आकाश मार्ग से लेकर जा रहा यह आकाशवाणी सुनकर रावण धनुष यज्ञ छोड़कर अपनी बहन को बचाने चला जाता है। तब बंदीजन राजा जनक की महान गाथा का पारायण विस्तार पूर्वक करते है।  धनुष यज्ञ प्रारम्भ होता है जहाँ बड़े बड़े राजा महाराजा धनुष तोड़ने की कोशिश करते है लेकिन उनसे धनुष तिल भर भी नहीं हिलता है। यह देखकर राजा जनक को बहुत अफ़सोस होता है की मैने नाहक ही सितका विवाह रचाया राजा जनक सोचते है की पृथ्वी वीरो से खाली हो गई है। यह सुनकर लक्ष्मण उठ खड़े होते है और उनकी बातो का जवाब देते है। इसी समय विश्वामित्र राम से कहते है की धनुष तोड़कर जनक का संसय दूर करो। तब श्रीराम धनुष तोड़कर सीता संग विवाह करते है धनुष टूटने की घोर ध्वनि सुनकर जनक दरबार में परशुराम आ जाते है और पूछते है की यह शिव धनुष किसने तोड़ा तब लक्ष्मण और परशुराम के बीच  तीखी नोकछोक होती है जिसे श्रीराम समझाते  है। और कहते है की यह धनुष मैंने तोड़ा है तब परशुराम कहते है की आप मेरे धनुष पर बन चढ़ा कर बता दो श्रीराम बान चढ़ाते है तब परशुराम समझ जाते है की यह और कोई नहीं साक्षात विष्णु का अवतार है। तब परशुराम श्रीराम को प्रणाम कर वहा से चले जाते है इधर राजा जनक अयोध्या राजा दशरथ को बारात लेकर आने का निमंत्रण देते है। राजा दशरथ जानकपुरी बारात लेकर आते है और बड़े धूमधाम से चारो भाईयो का विवाह जनक की पुत्रियों के साथ होता है। बहुत दिन रुकने के पश्चात्  बिदाई होती है राजा जनक अपनी पुत्रियों को बड़े उदास मन से बिदाई देते है। रामलीला मंचन में राम लक्ष्मण के अभिनय की जनता द्वारा तारीफ की जा रही है। राम के अभिनय में शांतनु सोनी लक्ष्मण के अभिनय में उज्जवल जैन जो की राजा जैन के सुपुत्र है। बंदी के अभिनय में आदर्श तिवारी ने सफल अभिनय किया परशुराम के अभिनय में हर्ष तिवारी ने बहुत अच्छा अभिनय किया। रावण के अभिनय में  नितेश मालवीय एवं बानासूर के अभिनय में संतोष पाल ने मुख्य रूप से अभिनय किया।