भोपाल ।   संसार में जितने भी संबंध बनाओ वे कष्ट ही देते हैं, लेकिन जब आप भगवान से संबंध बनाते हो तो वे आपको भवसागर से पर कर देते हैं। यह बात भेल दशहरा मैदान पर चल रही श्रीराम कथा के सातवें दिन रविवार को जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने श्रद्धालुओं से कही। महाराज का आशीर्वाद लेने व कथा सुनने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह पहुंचीं। रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि यदि साधना सिंह कह देंगी तो ऐसा नहीं है कि शिवराज सिंह मना कर दें। मैं प्रदेश सरकार से कह रहा हूं, केंद्र सरकार से भी कहूंगा कि भोपाल को भोजपाल बनाने में कोई परेशानी नहीं है। मैं आठ दिनों से अपनी कथा की यही दक्षिणा मांग रहा हूं। आगे की कथा में महाराज ने बताया कि भोज राजा जैसा कोई राजा नहीं हुआ। इस मौके पर महाराज ने राजा विक्रमादित्या और भोज राजा की तुलना करते हुए कहा कि विक्रमादित्य जैसा किसी का शासन नहीं था और भोज राजा जैसा कोई वैदिक संरक्षक नहीं था। रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कि भोज राजा एक श्लोक बनाने पर एक लाख अशर्फियां देते थे। पर मैं प्रदेश सरकार से अशर्फियां नहीं, भोपाल को भोजपाल बनाना चाहता हूं। यही मेरी अशर्फियां और गुरु दक्षिणा है। महाराज ने कहा कि इससे हमारी गरिमा ही बढ़ेगी। महाराज ने कहा कि भोज राजा आज भले ही नहीं हैं पर भारत के कवि आज भी हैं। इस मौके पर महाराज ने कई स्वरचित श्लोक बनाकर लोगोंं को सुनाया।

श्रीराम वनगमन की कथा सुनाई

जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने बताया कि चंद्रमा की नौवीं कला चंद्रिका थी, जिसका रामचंद्र ने वन लीला में उपयोग किया। चंद्रिका का स्वभाव है कि वह चंद्रमा को छोड़कर नहीं जाती। इसी तरह रामजी के बार-बार कहने के बाद भी सीताजी रामजी को छोडकऱ नहीं जाती हैं। राम वनगमन की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा दशरथ सुमंत जी को कहते हैं कि रथ पर ले जाकर दो-चार दिन घुमा-फिराकर वापस ले आना। यदि वे नहीं आते हैं तो किशोरी को वापस ले आना। यहां पहली बार दशरथ ने सीताजी को किशोरी कहा। वन गमन के दौरान राम ने सीताजी को अयोध्या जाने को कहा, तो इस पर सीता जी ने कहा कि मैं आग में चली जाउंगी, पर आपके बिना अयोध्या नहीं जाऊंगी। आगे की कथा में महाराज ने भगवान राम के चित्रकूट पहुंचने का वर्णन किया। इस मौके पर बेटियों को संदेश देते हुए कहा कि किशोरियां लव जिहादियों के चक्कर में न फंसे, बल्कि रानी लक्ष्मीबाई और रानी कमलापति जैसा अपना व्यक्तित्व बनाएं।