नई दिल्ली । भारत के मुख्य आ​​र्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने आज कहा कि अगर अमेरिका का फेडरल रिजर्व ब्याज दर में आगे और इजाफा करता है तब भी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पर मौद्रिक नीति सख्त करने का दबाव नहीं होगा। हालांकि फेडरल रिजर्व ने बीते बुधवार को ब्याज दर में इजाफा नहीं किया मगर फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि अगर मुद्रास्फीति कम करने की दिशा में प्रगति रुकती है तो दरें फिर बढ़ाई जा सकती हैं। सिंगापुर में आयोजित बार्कलेज एशिया फोरम के दौरान एक टेलीविजन से नागेश्वरन ने कहा ‎कि यदि फेड दर में 25 आधार अंक की वृद्धि करता या दो बार और इस तरह की बढ़ोतरी करता है तब भी आरबीआई पर इसका अनुसरण करते हुए दरें बढ़ाने का दबाव नहीं होगा। मुख्य आ​र्थिक सलाहकार ने कहा कि आरबीआई का दर वृद्धि का चक्र फेड से पूरी तरह जुड़ा नहीं है क्योंकि भारत का बाह्य संतुलन और वित्तीय ​स्थिरता 10 साल पहले की तुलना में अब काफी बेहतर है। उस समय भारत फेड के रुख का अनुसरण करने वाले देशों में शामिल था। नागेश्वरन ने कहा ‎कि भारतीय रुपया इस साल सभी ए​शियाई मुद्राओं में सबसे ​स्थिर रहा है। वृहद आ​र्थिक ​स्थिति को देखते हुए मुझे लगता है कि आरबीआई के पास पहले की तुलना में कुछ हद तक स्वतंत्रता है। वित्तीय मोर्चे यानी ब्याज और विनिमय दर दोनों काफी ​स्थिर हैं।