*राम भक्त ले चला रे राम की निशानी,,,,,सुर्पणखा की कटी नाक* 

भैंसदेही माँ पूर्णा की नगरी मे चल रही रामलीला मंचन मे पांचवे दिन भरत बंधु बांधव माताओ एवं नगर वासी सहित राम से मिलने वन मे जाते है वन मे निषाद राज से भेट कर भरत श्रीराम से मिलने चित्रकूट पहुंचते है। जिसकी आहट सुनकर लक्ष्मण क्रोधित हो जाते है जिसे राम जी समझाते है की मेरा भरत लाखो मे एक है वह ऐसा कुछ कर ही नहीं सकता जिससे कुल की मर्यादा नष्ट हो। भरत को कभी राजमद नहीं हो सकता। भरत के समान उत्तम भाई संसार मे नहीं है इसी क्षण भरत राम से मिलने आश्रम मे आते है और आते ही हे नाथ रक्षा कीजिए ऐसा कहकर पृथ्वी पर दंड की तरह गिर पड़े। कृपनिधान श्रीरामचंद्र जी ने भरत को उठाकर ह्रदय से लगा लिया यह मिलन देखकर सब कोई अपनी सुध भूल गए। इसके बाद भरत लक्ष्मण जी से बड़े ही प्रेम से मिले जिससे लक्ष्मण जी के सारे गीले शिकवे दूर हो गए। इसके साथ ही भरत माता सीता से भी मिले और सकुशल जानकर उनका सारा भय जाता रहा। श्रीराम जी गुरु एवं माताओ से भी मिले भरत श्रीराम जी को पिताजी राजा दशरथ के मरण का समाचार सुनाते है यह सुनते ही श्रीराम भाव विहल हो जाते है। और फिर चारो भाई मिलकर पिताजी का तर्पण करते है। इसके पश्चात् भरत जी श्रीरामजी को हर तरह से वापस चलने के लिये मनाते है भरत श्रीराम से कहते है की आप वापस अयोध्या चले जाइये हम दोनों भाई वन मे रहेंगे। लेकिन श्रीराम नहीं मानते है और कहते की ऐसा करने से पिताजी की आज्ञा का उलंघन होगा जिससे स्वर्ग मे पिताजी को तकलीफ होंगी।यह सब सुनकर मुनि वशिष्ठ मन मे सोचते है की भरत अपने प्रेम मे आज सबको बहा कर ले जायेगा। अंत मे भरत श्रीराम से उनके चरणों की पादुका मांगते है और कहते है की यदि आप चौदह वर्ष पूर्ण होने पर वापस आने मे एक दिन की भी देरी की तो आप मुझे अग्नि की चिता पर लेटा पाएंगे। श्रीराम भरत को आश्वासन देते है की मै चौदह वर्ष पूर्ण होते ही अयोध्या आ जाऊंगा ऐसा कुछ नहीं होगा। और अपनी चरण पादुका भरत को दे देते है राम भक्त ले चला रे राम की निशानी भरत श्रीराम की चरण पादुका लेकर वापस अयोध्या आ जाते है  और राज सिंहासन पर चरण पादुका रखकर राज्य चलाते है। रामलीला मंचन मे आगे पंचवटी मे रावण की बहन सुर्पणखा राम लक्ष्मण का रूप देखकर मोहित हो जाती है और राम लक्ष्मण के सामने गन्धर्व विवाह का प्रस्ताव रखती है। जिसे दोनों भी ठुकरा देते है। सुर्पणखा रूप बदल बदल कर रिझाने की कोशिश करती है पर कुछ बात नहीं बबनती  है जिससे सुर्पणखा गुस्से मे आकर सीताजी को रास्ते का काटा समझकर तलवार से वार करती है उसी समय लक्ष्मण जी सुर्पणखा की नाक काट लेते है।सुर्पणखा वहाँ से सीधे अपने भी खर और दुषण के पास जाती है और सारा किस्सा बताती है जिसका बदला लेने खर और दुषण दोनों राम से युद्ध करते है और मारे जाते है। राम भरत मिलाप का मार्मिक प्रसंग देखकर दर्शक भाव विभोर हो गये।सुर्पणखा का अभिनय जाने माने कलाकार सुरेश चौहान ने किया खर और दुषण का अभिनय मोनू तिवारी एवं सुरजीत सिंह ठाकुर ने किया।