गाँधी परिवार के इशारों पर 1984 में सिखों की हत्या, कोहराम और मौत का तांडव मचाने वालों को कांग्रेस ने बचाया, बढाया और पदोन्नत करने वालों को महिमा मंडन किया

चंडीगढ़  ।   गाँधी नेहरु परिवार के इशारों पर 1984 के सिख विरोधी दंगे में शामिल मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सिखों की हत्या और कत्लोगारत पर एनओसी देने पर आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री श्री तरुण चुग ने कहा कि यह सच से कोसां दूर, दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मसार करने वाला बयान है। उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने सरेआम 1984 के सिख विरोधी दंगे में सिखों की हत्या करने वाली भीड़ का नेतृत्व किया गुरूद्वारे जलाये, दिल्ली और देश के अन्य शहरों में कोहराम या मौत का तांडव किया, उन नेताओं का कांग्रेस हमेशा महिमा मंडन करती रही है। उन्हें बचाने का प्रयास करती रही है और क्लीन चिट देती रही है। चुग ने कहा कि कल मध्यप्रदेश में कमलनाथ के साथ चुनाव प्रचार में पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरेन्द्र राजा वडिंग ने चमचागिरी की पराकाष्ठा करते हुए कमलनाथ को सिख विरोधी दंगे में उनकी भूमिका को लेकर क्लीन चिट दी। इस पर कटाक्ष करते हुए श्री चुग ने कहा कि राजा वडिंग को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या जांच एजेंसियां, चश्मदीद गवाह एवं तथ्य झूठ बोल रहे हैं। या खुद को सच्चा सिख कहने वाले कांग्रेस नेता केवल सत्ता लिप्सा में, कुर्सी के लालच में अपने आकाओं को खुश करने के लिए गुरूद्वारे जलाने वाले, जिन्दा सिखों को जलाने वाले, नरसंहार करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले दोषियों को क्लीनचिट दे रहे हैं। चुग ने कहा कि आखिर गाँधी परिवार और उनके इशारों पर सिखों का नरसंहार करने वालों को बचाने का षड्यंत्र क्यों हो रहा है ? श्री चुग ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस के स्टाफ रिपोर्टर संजय सूरी 3 नवम्बर 1984 को मौके पर थे। उनके अनुसार गुरुद्वारा रकाब गंज पर हमला कर रही भीड़ का नेतृत्व कमल नाथ और पूर्व केबिनेट मंत्री वसंत साठे कर रहे थे वह भीड़ उन्माद से भरी और हथियारों से लैस थी। भीड ने दो सिखों को जिंदा जलाया, गोलियां चलायी एवं गुरूद्वारे पर हमला किया। उन पर आज भी संसद मार्ग पुलिस थाने में एफ आई आर 601/84 दर्ज है।  चुग ने इस घटनाक्रम पर लिखी मनोज मित्ता की किताब “व्हेन ए ट्री शुक” के हवाले से भी कहा कि पुलिस आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त ने माना है कि जब भीड़ रकाब गंज गुरूद्वारे को घेरे हुए थी तो कमलनाथ भी आगे खड़े थे। मुख्य गवाह मुख्त्यार सिंह ने भी अपने बयानों में उपरोक्त बातों को स्पष्ट करते हुए पुष्टि की और घटना की जानकारी दी। इससे यह स्पष्ट होता है कि सिख दंगों के असली गुनहगार कौन हैं और कांग्रेस एवं गाँधी परिवार उन्हें पिछले 40 साल तक बचाता और महिमा मंडित करता रहा है। चुग ने कहा कि नानावती जांच आयोग की रिपोर्ट में मुख्य गवाह “गुरुद्वारे के कर्मचारी क्वार्टर में रहने वाले श्री मुख्तियार सिंह के अनुसार, एक बड़ी भीड़ ने सुबह लगभग 11 बजे गुरुद्वारे पर हमला किया और भक्तों, सेवादारों और गुरुद्वारे के अन्य कर्मचारियों पर पथराव किया। वे सिख विरोधी नारे भी लगा रहे थे। इसके तुरंत बाद एक वृद्ध सिख सज्जन, जो गुरुद्वारा परिसर में थे, भीड़ के पास गए और हाथ जोड़कर उसे शांत करने की कोशिश की। उन्हें गुरुद्वारा परिसर से बाहर खींच लिया गया और बुरी तरह पीटा गया। उनके गिरने के बाद भीड़ में से किसी ने उस पर कुछ सफेद पाउडर फेंक दिया था। अपने पिता को बचाने आए उनके बेटा जो गुरुद्वारा परिसर में ही थे, को भीड़ ने उसे पकड़कर पीटा और फिर आग लगा दी। फिर वह कुछ श्रद्धालुओं की मदद से इन दोनों लोगों के शवों को गुरुद्वारे के अंदर ले आए। वे अभी भी जीवित थे। उन्होंने और अन्य लोगों ने पुलिस से उन्हें अस्पताल ले जाने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने कोई भी मदद देने से इनकार कर दिया। कुछ देर बाद वृद्ध की मौत हो गई। लगभग 3 से 4 घंटे के बाद युवा सिख की भी मृत्यु हो गई। भीड़ ने गुरुद्वारे में घुसने के बाद गुरुद्वारे के मुख्य दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की लेकिन ऐसा करने में सफल नहीं हो सकी। इसलिए उसने इसमें आग लगा दी. जब भीड़ ने फिर से गुरुद्वारे के अंदर जाने का प्रयास किया, तो एक व्यक्ति जो गुरुद्वारे के अंदर था और उसके पास लाइसेंसी बंदूक थी, ने भीड़ को डराने के लिए हवा में कुछ गोलियां चलाईं। इसके बाद भीड़ बड़ी हो गई और उस समय भीड़ में कांग्रेस नेता श्री कमलनाथ और श्री वसंत साठे भी नजर आए। श्री मुख्तियार सिंह के अनुसार कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर पुलिस ने गुरुद्वारे पर कई राउंड फायरिंग की। कुछ देर बाद गुरुद्वारे के प्रबंधक श्री गुरदयाल सिंह ने उन कांग्रेसी नेताओं से अनुरोध किया कि वे भीड़ को गुरुद्वारे पर हमला करने से रोकें और उस स्थान से चले जाने को कहें। उनके आग्रह पर भीड़ पीछे हट गयी लेकिन कुछ देर बाद फिर से भीड गुरुद्वारे के पास जमा हो गयी”।  चुग ने कहा कि 1984 दंगे की जांच के लिए पहले नानावती जांच आयोग का गठन करके एनडी ए सरकार के दौर में हुई। 2014 में मोदी जी के नेतृत्व में सरकार ने इस मामले की। एसआईटी बनाकर दोबारा जांच शुरू की। यह दुर्भाग्य है कि कांग्रेस के शासन काल में इस मामले में कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को क्लीन चिट दी। जो पीडित परिवारों के साथ घोर अन्याय था। मोदी सरकार आने के बाद जांच शुरू हुई और कुछ दोषियों को सजा हुई जिनमें से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद सज्जन कुमार जेल में हैं। अन्य दोषियों के खिलाफ भी जांच चल रही है, उन्हें भी जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए।