भोपाल। मध्यप्रदेश में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन, मप्र में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर सियासत गरमा गई है। लगातार सिंधिया समर्थकोंके भाजपा छोडऩे से  पार्टी के सामने परेशान बढ़ती जा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला है और मप्र भाजपा में विद्रोह को रोकने सिंधिया पर नकेल कस दी है। इसका परिणाम गुरूवार को देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ सिंधिया ने श्योपुर में जनता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने सरकार और शिवराज की जमकर प्रशंसा की। भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी में बगावत, दिग्गज नेताओं में वर्चस्व की जंग, सर्वे में मिले फीडबैक के बाद केंद्रीय नेतृत्व और संघ ने मिलकर प्रदेश में नई चुनावी रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत सिंधिया पर नकेल कसने का निर्णय लया है। दरअसल, मंगलवार को भोपाल आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक से ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने साथ दिल्ली ले गए। जिसके बाद अब यह चर्चा होने लगी की क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की मप्र में भाजपा का चेहरा होंगे? लेकिन जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने यात्रा के दौराना सिंधिया को उनकी जमीनी हकीकत से अवगत कराया और उन्हें अपने समर्थकों को हद में रखने की हिदायत भी दी। पीएम को मिला था सिंधिया के खिलाफ फीडबैक गौरतलब है कि चुनावी साल में मप्र की राजनीति में हर दूसरे-तीसरे दिन कोई न कोई घटनाक्रम ऐसा घटित हो जाता है, जिससे प्रदेश का पारा गरमा जाता है। वर्तमान समय में मप्र का सियासी पारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री ज्यातिरादित्य सिंधिया के एक साथ दिल्ली जाने से गरमाया हुआ है। प्रदेश में कयासों का दौर शुरू हो गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश में कोई बड़ा खेला हो सकता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि सत्ता और संगठन से सिंधिया और उनके समर्थकों की मनमानी और गुटबाजी की शिकायत पीएम को मिली थी। यही कारण है कि पीएम सिंधिया को अपने साथ दिल्ली ले गए थे। जुलाई में बड़े बदलाव की संभावना मप्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनावों के पहले भाजपा में बगावत और गुटबाजी देखने को मिल रही है। कई नेता भाजपा का साथ छोड़ रहे हैं। उधर, सरकार एवं संगठन में बदलाव की तमाम अटकलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भोपाल में बड़े चुनावी कार्यक्रम के बाद सिंधिया के साथ निकटता के प्रदर्शन से राज्य के तमाम भाजपा नेताओं के पसीने छूट गए हैं। प्रधानमंत्री और सिंधिया के बीच बढ़ी नजदीकी से भाजपा में हलचल बढ़ गई है। इसके अलावा जिस तरह से जेपी नड्डा, अमित शाह और संघ के शीर्ष नेताओं के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं उससे भी प्रदेश भाजपा में सरगर्मियां हैं। बुधवार को प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री भी असंतोष से संगठन और मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर लंबा विचार विमर्श किया है। सूत्रों का कहना है कि जुलाई के पहले सप्ताह में सत्ता और संगठन में बड़े परिवर्तन संभावित हैं।    
- केंद्रीय नेतृत्व ने संभाली कमान 
मप्र सरकार और संगठन की लगातार पहुंच रही शिकायतों के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने मप्र में चुनावी कमान संभाल ही है। सूत्रों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, और नरेंद्र मोदी के नजदीकी माने जाने वाले राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुघ ने अपने भोपाल प्रवास के दौरान जो फीडबैक प्राप्त किया। उसे उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक पहुंचा दिया है। संभवत: इसी कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह नसीहत दी कि सभी कार्यकर्ता और नेता केवल कमल यानी संगठन के लिए काम करें। दरअसल कर्नाटक चुनाव परिणामों के साइड इफेक्ट्स मप्र भाजपा में भी देखने को मिल रहे हैं। लंबे अरसे से चुप बैठे नाराज भाजपा नेता कर्नाटक की पराजय के बाद मुखर होकर सामने आ रहे। सूत्रों के अनुसार सागर जिले में जिस तरह कद्दावर कैबिनेट मंत्रियों के बीच खींचतान सामने आई है। उससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व की चिंता प्रदेश को लेकर बढ़ गई है। जो स्थिति सागर में है वही हाल दमोह, सतना, जबलपुर और उज्जैन जिले में है, जहां बड़े दिग्गज आपस में उलझ रहे हैं। अभी तक माना जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों और मंत्रियों के क्षेत्र में भाजपा में अधिक समस्या है लेकिन जहां सिंधिया समर्थक प्रभावी नहीं है या बिल्कुल भी नहीं है वहां भी भाजपा में खींचतान मची हुई है। मुख्यमंत्री ने दिलाया साथ देने का संकल्प प्रदेश में भाजपा की कमजोर स्थिति का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि श्योपुर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने लोगों से कहा कि हमने सभी का साथ दिया है और विकास किया है। इसलिए संकल्प लें कि जो हमारा साथ दे उसका साथ दें। इसलिए भाजपा का साथ दें। इसलिए भाजपा का साथ देने का संकल्प लें। अभी तक प्रदेश में मंत्री और विधायक मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को कसम और संकल्प दिला रहे थे कि वे चुनाव में उनका साथ दें, लेकिन अब विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी भाजपा का साथ देने के लिए संकल्प दिला रहे हैं।  
 

न घर के रहेंगे न घाट के 
प्रधानमंत्री और सिंधिया के बीच जो जुगलबंदी भोपाल में देखने को मिली उससे मप्र के नेताओं में खलबली मची हुई है। यही वजह है कि अगले दिन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों के साथ बैठक की, फिर वीडी शर्मा के साथ जाकर उमा भारती से मुलाकात की। दरअसल, भोपाल में 27 जून को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के उद्घाटन एवं भाजपा बूथ कार्यकर्ताओं के साथ करीब तीन घंटे के कार्यक्रम के बाद पीएम नरेंद्र मोदी का सिंधिया के साथ गुफ्तगू करना और फिर प्रधानमंत्री के विशेष विमान से सिंधिया का दिल्ली लौटना, प्रधानमंत्री के मप्र दौरे के खत्म होने के बाद ही राज्य भर में ना केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के बड़े नेताओं की चर्चा में यह मामला गरम रहा। वहीं भाजपा सूत्रों का कहना है कि मोदी ने सिंधिया को बता दिया की वे अपने समर्थकों को हद में रखे। क्योंकि अगर वे इसी तरह बगावत करते रहे तो उनको कहीं भी जगह नहीं मिलेगी। यानी वे न घर के रहेंगे, न घाट के।