इंदौर ।  प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में वाहनों की फिटनेस व्यवस्था में लापरवाही भारी पड़ती है। अब भी परिवहन विभाग में वाहनों की फिटनेस जांचने का काम मैन्युअल तरीके से हो रहा है। वहीं दूसरे राज्यों में यह काम आटोमैटेड फिटनेस ट्रैक से हो रहा है। व्यवस्था में जारी खानापूर्ति हादसों की वजह बन रही है। फिटनेस के दौरान वाहनों के टायर सहित कई बिंदुओं की बारीकी से जांच की व्यवस्था है लेकिन इसकी भी अनदेखी होती है। चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस सीट बेल्ट को लेकर तो चालानी कार्रवाई और जागरूकता के लिए प्रयास कर रही है लेकिन गति सीमा का उल्लंघन, अन्य सेफ्टी फीचर्स पर अब भी किसी का ध्यान नहीं है। नई कार खरीदने के पहले लोग वाहनों के सेफ्टी फीचर्स को लेकर पूछताछ तो करने लगे हैं लेकिन अब भी 'सुरक्षा' पर 'बजट' भारी पड़ रहा है। परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार व्यावसायिक और यात्री वाहनों का फिटनेस होना जरूरी है। शहर में इसके लिए निरंजनपुर में आरटीओ की अस्थायी फिटनेस शाखा है। यहां एक लिपिक वाहनों का निरीक्षण कर लेता है। वाहन की बाडी जांची जाती है। जरूरत पड़ने पर वाहन को चालू करवाकर देख लिया जाता है। इसके बाद वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र दे दिया जाता है, लेकिन सालों पुरानी व्यवस्था को बदलने की जरूरत है। अगले साल से केंद्र सरकार के निर्देश अनुसार वाहनों के फिटनेस आटोमैटेड फिटनेस ट्रैक से होना है।

रिमोल्ड टायर पर नहीं मिलता प्रमाणपत्र फिर भी चलते हैं वाहन

ट्रांसपोर्ट व्यापारी प्रवीण अग्रवाल बताते हैं कि ट्रकों में तीन माह में टायर खत्म हो जाते हैं। नए टायर और रिमोल्ड टायर की कीमत में आधी कीमत का अंतर होता है। ट्रेलर में टायरों की संख्या अधिक होती है। उसमें कुछ रिमोल्ड टायर व्यापारी लगवा लेते हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ये ठीक नहीं होते हैं। कई बार ये टायर फट जाते हैं। यात्री बसों में भी कई बस संचालक इनका उपयोग करते हैं। फिटनेस के समय अगर रिमोल्ड टायर दिख जाते हैं तो फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन इस नियम की अनदेखी भी अक्सर होती है।

इंदौर शहर में 23 लाख 50 हजार वाहन पंजीकृत हैं

4 लाख 25 हजार कारें हैं
11 लाख से अधिक दो पहिया वाहन हैं
शेष भारी व लोक परिवहन सहित अन्य श्रेणी के वाहन हैं
अभी भी मैन्युअल तरीके से होता है काम, दूसरे राज्यों में आटोमैटेड सिस्टम

नए वाहनों में सुरक्षा फीचर जरूरी

ओशियन मोटर्स के संचालक अमन पटेल बताते हैं कि पिछले एक साल में वाहन खरीदारों में सुरक्षा फीचर को लेकर जागरूरता बढ़ी है। लोग वाहन की क्रेश टेस्ट, स्टार रेटिंग, एयर बैग, एबीएस आदि के बारे में पूछताछ करते हैं । अब सड़कों की हालत अच्छी होने से इनकी जरूरत भी बढ़ गई है।

सीट बेल्ट को लेकर सख्ती कर रही पुलिस ,15 दिन में दो हजार लोगों पर चालानी कार्रवाई

ट्रैफिक पुलिस भी यात्री सुरक्षा को लेकर काफी सख्ती कर रही है। शहर में सीट बेल्ट को लेकर लगातार चालानी कार्रवाई की जा रही है। पिछले 15 दिनों में सीट बेल्ट नहीं लगाने पर करीब दो हजार वाहन चालकों के चालान बना दिए गए हैं। इसके अलावा हेलमेट को लेकर भी सख्ती की जा रही है।

पिछली सीट पर बैठने वाले नहीं लगाते सीट बेल्ट

ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों के अनुसार भले ही चालानी कार्रवाई के डर से ही सही लेकिन ड्राइवर और उसके पास की सीट पर बैठने वाले यात्री सीट बेल्ट लगाने लगे हैं लेकिन पिछली सीट पर बैठने वाले यात्री अब भी सीट बेल्ट से परहेज करते हैं। जब वाहनों को जांच के लिए रोका जाता है तो पिछली सीट के सीट बेल्ट ज्यादातर वाहनों में सीट कवर के पीछे दबे मिलते हैं। लोगों को समझाइश दी जाती है कि पिछली सीट पर बैठने वालों को भी सीट बेल्ट लगाना कितना जरुरी है।

टीम नियमानुसार जांच करती है

वाहन फिटनेस को लेकर हमारी टीम नियमानुसार जांच करती है। हर श्रेणी के वाहनों के लिए जो तय व्यवस्था है उसके अनुसार फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं। फिर भी यदि कहीं कोई खामी है तो इसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा। वाहन चालकों को फिटनेस की आवश्यकता और उपयोगिता को लेकर लगातार जागरुक भी हमारी टीम करती है।

- अर्चना मिश्रा, एआरटीओ