नई दिल्ली| विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे महत्वपूर्ण विषयों में छात्राओं की रूचि बढ़ाने के लिए देश में पढ़ाई के नए और रोचक तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें कागज, सब्जियां, ताश के पत्ते, संगीत वाद्ययंत्र, विभिन्न प्रकार की सीटी, साइकिल आदि जैसी सरल गतिविधियां शामिल होंगी। देश के 200 जिलों की लगभग 10,000 छात्राओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित की इस रोचक व नई पहल से जोड़ा जाएगा। इसके तहत देश के दूरदराज के हिस्सों से युवा उच्च माध्यमिक छात्राओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) के बारे में उत्साहित करने के लिए एक केंद्रित प्रयास के रूप में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर बड़ी भूमिका निभा रहा है।

आईआईटी जीएन और अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ने देशभर के जवाहर नवोदय विद्यालयों की कक्षा 11 की विज्ञान ज्योति स्कोलर्स को मोटिवेट करने की योजना बनाई है। आईआईटी जीएन के सेंटर फॉर क्रिएटिव लनिर्ंग और अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन ने एक ऑनलाइन इंटरैक्टिव शिक्षा कार्यक्रम 'स्पार्कल सीरीज' शुरू करने के लिए हाथ मिलाया है।

आईबीएम इंडिया द्वारा वित्त पोषित यह नौ-एपिसोड की श्रृंखला, देशभर के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 200 जिलों में 200 जवाहर नवोदय विद्यालयों में लगभग 10,000 विज्ञान ज्योति छात्राओं तक पहुंचने की उम्मीद रखती है। 22 जनवरी, 2022 से शुरू होकर 'स्पार्कल सीरीज' हर शनिवार को दोपहर 3 से साढ़े 4 बजे तक यूट्यूब चैनल पर लाइव-स्ट्रीम की जाएगी।

यह कार्यक्रम भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की विज्ञान ज्योति योजना के उद्देश्यों के अनुरूप है। इसका उद्देश्य शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों के दौरान केंद्रित हस्तक्षेप करके एसटीईम क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है।

आईआईटी जीएन ने कहा कि 'स्पार्कल सीरीज' का इरादा है की रोजमर्रा की जि़ंदगी से इन विषयों के छिपे रहस्यों, सुंदरता और जादू को खोलकर युवा लड़कियों को एसटीईएम के बारे में उत्साहित करें।

ऑनलाइन कार्यक्रम प्रतिभागियों को नियमित पाठ्यक्रम-आधारित विज्ञान शिक्षा से आगे ले जाएगा और उन्हें वैज्ञानिक स्वभाव और उत्साह बनाने में मदद करेगा। इस श्रृंखला के संवादात्मक सत्र विज्ञान और गणित पाठ्यक्रम विषयों पर आधारित होंगे, लेकिन उनमें कागज, सब्जियां, ताश के पत्ते, संगीत वाद्ययंत्र, विभिन्न प्रकार की सीटी, साइकिल आदि जैसी सरल सामग्री का उपयोग करके विभिन्न गतिविधियां शामिल होंगी। विचार यह है कि छात्राएं इन विषयों की अंतर्निहित सुंदरता की खोज करें और विभिन्न हेंड्स-ऑन प्रोजेक्ट्स, गतिविधियों और खुले प्रश्नों के साथ आश्चर्य की भावना विकसित करें।

इस श्रृंखला के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए, आईआईटी जीएन के प्रोफेसर मनीष जैन ने कहा, परंपरागत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित रूप में करियर बहुत कम महिलाएं अपनाती हैं। परिणामस्वरूप एक समाज के रूप में हम अपने कुछ प्रतिभाशाली दिमागों के योगदान से चूक जाते हैं। हम अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के साथ सहयोग करने के लिए बहुत उत्साहित हैं ताकि स्कूली लड़कियों को मुख्य रूप से इन विषयों को आकर्षक और प्रेरक बनाकर विज्ञान और गणित से जोड़ा जा सके। ध्यान यह दिखाने पर होगा कि गणित और विज्ञान हमारे जीवन से कैसे संबंधित हैं। इस श्रृंखला में, हम आकर्षक और दिलचस्प गतिविधियों, हेंड्स-ऑन प्रोजेक्ट्स, ऐतिहासिक कहानियों, और खुले प्रश्नों के माध्यम से गणित और विज्ञान पाठ्यक्रम की विषयों की अंतर्निहित सुंदरता का पता लगाएंगे।

स्पार्कल सीरीज के महत्व के बारे में बोलते हुए, संयुक्ता चतुर्वेदी, निदेशक, डिजिटल इक्वलाइजर, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन, ने कहा, कक्षाएं केवल सैद्धांतिक सीखने का स्थान नहीं होना चाहिए, बल्कि एक सहयोगी और इंटरैक्टिव लनिर्ंग स्पेस होना चाहिए। छात्रों को यह तेजी से बदल रही 21वीं सदी में एक सफल भविष्य के लिए तैयार करता है। इस ²ष्टिकोण के साथ डिजिटल इक्वलाइजर कार्यक्रम छात्राओं को 21वीं सदी के कौशल पर छात्रों को सशक्त बना रहा है।