सागर के नीले रंग से नोबेल पुरस्कार – डॉ. साधना हेण्ड
सागर के नीले रंग से नोबेल पुरस्कार
बैतूल मप्र l जिस प्रकार कैरम का स्ट्राइकर गोटियों को बिखेर देता है, उसी प्रकार जब प्रकाश किसी माध्यम से होकर गुजरता है तब माध्यम के अणु प्रकाश कणों को बिखेर देते है। यह घटना प्रकीर्णन कहलाती है। आकाश के नीले रंग का कारण वायुकणों से प्रकाश के प्रकीर्णन का होना है। इस घटना का वर्णन सर्वप्रथम लार्ड रिले ने बताया था।
1921 में जब सर चंद्रषेखर वेंकटरमन रमन पहली बार पानी के जहाज से विदेष यात्रा कर रहे थे, तब उन्होनें सागर के जल के नीले रंग का अवलोकन किया और इस खोज में लगे कि सागर के जल का नीला रंग नीले आसमान का प्रतिबिंब नही हो सकता। जब कोई एक वर्णी प्रकाश, जिसकी एक निश्चित तरंगदैर्ध्य है किसी पारदर्शी माध्यम ठोस, द्रव या गैसे से गुजरती है तो आपतित प्रकाश के साथ बहुत कम तीव्रता का कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश भी देखने को मिलता है। इस खोज की घोषणा 7 वर्ष पश्चात 28 फरवरी 1928 को सर सी.वी. रमन ने की, इसे रमन प्रभाव कहते है। 1930 में सर सी.वी. रमन को इस खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरूकार मिला और छब्ैज्ब् राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी संचार परिषद ने उनके सम्मान में 28 फरवरी का दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस घोषित किया, जिसका उद्देश्य विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाना और वैज्ञानिक सोच जागृत करना है।
रमन प्रभाव-
प्रकाश पुंज निष्चित ऊर्जा वाले कणों का प्रवाह है। इन कणों को फोटोन कहते है। जब प्रकाश किसी माध्यम से गुजरता है तब माध्यम के कणों के साथ टक्कर दो प्रकार की हो सकती है।
1. प्रत्यास्थ संघट्ट- जब प्रकाष किरण के फोटोन व माध्यम के कणों की टक्कर से आपतित प्रकाष की आवृत्ति, समान तरंगदैर्ध्य की ही तरंग उत्सर्जित होती है, तो उसे प्रत्यास्थ संघट्ट कहते है। इसे रिले प्रकीर्णन कहते है, इसकी व्याख्या लार्ड रिले ने की थी।
2. अप्रत्यास्थ संघट्ट- जब प्रकाष किरण के फोटोन व माध्यम के कणों की टक्कर में आपतित प्रकाष से भिन्न आवृत्ति की किरणे उत्सर्जित होती है तो इसे अप्रत्यास्था संघट्ट कहते है। यह टक्कर फोटोन और माध्यम के कणों के बीच ऊर्जा के आदान-प्रदान के कारण होता है। इसकी व्याख्या सर सी.वी. रमन द्वारा की गई। इसलिए इसे रमन प्रकीर्णन भी कहते है।
फलस्वरूप दो प्रकार की स्पेक्ट्रम लाईन प्राप्त होती है, जिन्हे रमन लाइन भी कहते है।
1. एंटीस्टोक लाइन- जब संघट्ट में आपतित प्रकाश से कम आवृत्ति या अधिक तरंगदैर्ध्य की किरण उत्सर्जित होती है तब एंटीस्टोक रमन लाइन प्राप्त होती है।
2. स्टोक लाइन - जब संघट्ट में आपतित प्रकाष से अधिक आवृत्ति या कम तरंगदैर्ध्य की किरणे उत्सर्जित होती है तब स्टोक रमन लाइन प्राप्त होती है। यही कारण है कि सागर के जल का नीला रंग आसमान के नीले रंग से भिन्न है।
रमन प्रभाव के उपयोग-
1. क्रिस्टल अणुओं की संरचना ज्ञात करने में।
2. रंग के सूखने में होने वाले रासायनिक परिर्वतन को समझने में।
3. भूगर्भ शास्त्र और खनिज की पहचान।
4. रोग निदान एवं अपराध विज्ञान।
सर सी.वी. रमन को 1954 में भारत रत्न एवं 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सही सवाल पूछे प्रकृति अपने रहस्यों के द्वार खोल देगी।
स्त्रोत-वीकिपीडिया
डॉ. साधना हेण्ड
प्राचार्य, शिक्षा विभाग