एक्ट्रेस मृणाल ठाकुर दिनोंदिन अपने करियर को अगले पायदान पर बखूबी ले जा रही हैं। इन दिनों वे अपनी फिल्म 'जर्सी' को लेकर चर्चा में हैं। जबकि उनकी अपकमिंग फिल्म 'पिपा' और 'आंख मिचौली' है। अब दैनिक भास्कर से खास बातचीत में मृणाल ठाकुर ने अपने करियर अपकमिंग प्रोजेक्ट्स और फिल्म जर्सी से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं।

आज एक से बढ़कर एक चर्चित फिल्में कर रही हैं, यहां तक पहुंचने का सफर कितना संघर्षपूर्ण रहा?
अब तक की जर्नी बहुत अनोखी रही। बहुत कुछ सीखा, बहुत कुछ खोया, बहुत कुछ पाया। मेरी लास्ट रिलीज फिल्म धमाका रही, उससे भी कुछ खोया, कुछ पाया। सबसे इंपोर्टेंट चीज है कि हर दिन ग्रो करते हैं। नए-नए फिल्म मेकर्स के साथ काम करके कुछ नया सीखने को मिलता है। अपनी लाइफ का यह फेज बहुत एंजॉय कर रही हूं। ब्लेस फील करती हूं, क्योंकि बहुत कम एक्ट्रेस को इतने अच्छे फिल्म मेकर्स के साथ काम करने का मौका मिलता है। खुद को खुशनसीब समझती हूं कि इतनी कम उम्र में राम माधवानी, राकेश ओमप्रकाश मेहरा आदि दिग्गज डायरेक्टर के साथ काम करने का मौका मिला। मैं चाहती हूं कि जर्नी ऐसे ही चलती रहे। अच्छे-अच्छे और नए फिल्म मेकर्स के साथ, अलग-अलग कॉन्सेप्ट पर, अलग-अलग टॉपिक, सोशल या फिर स्लाइस ऑफ लाइफ आदि पर काम कर पाऊं। जिंदगी में लोगों तक कुछ मैसेज पहुंचा पाऊं या इंस्पायर कर पाऊं। खुश हूं कि अब तक मैंने जो भी काम किया है, वह ऑडियंस तक पहुंचा है और उन्हें किसी न किसी तरह रेजोनेट हुआ है। ऑडियंस का बहुत सारा प्यार मिला है, जो कभी एक्सपेक्ट नहीं किया था।

आपने बताया कि इस सफर में कुछ खोया, कुछ पाया, क्या बताएंगी कि क्या खोया और क्या पाया?
मैंने कुछ फिल्में खोई हैं। कभी-कभी लगता था कि दिल-ओ-जान लगा दूं, बहुत मेहनत करूं, लेकिन जो चीज नसीब में नहीं लिखी होती है, वह नहीं मिलती। कुछ फिल्में खोई, लेकिन बाद में रियलाइज किया कि शायद उन चीजों के लिए बनी ही नहीं थी। क्या होता है कि जब आप कुछ खोने लगते हैं, तब सारा फोकस उसके ऊपर होता है। मुझे चाहे शुरुआती बड़ी फिल्में नहीं मिलीं, पर लव सोनिया जैसी छोटी फिल्म से शुरुआत की। इस फिल्म के जरिए ढेर सारी बॉलीवुड फिल्में मिली, तब वह चीज पाई। फिर तो एक चीज से दूसरी और दूसरी से तीसरी चीजें मिलती चली गईं। हां, कुछ स्कूल-कॉलेज दोस्त खोए, क्योंकि फिल्मों और काम में बिजी हो गई। फिलहाल वहीं फिल्म इंडस्ट्री में कुछ नए दोस्त पाए, जिनके साथ काम करके बहुत मजा आया। ये सारी छोटी-छोटी चीजें हैं, जो इस सफर के दौरान खोया-पाया।

जिन्हें खोया, क्या वे स्कूल-कॉलेज के दोस्त हैं?
यह कॉलेज के फ्रेंड हैं, जिनके टच में नहीं थी। लेकिन, अब हम छह-सात साल बाद वापस मिल रहे हैं। मिलकर मजा आ रहा है। कॉलेज के दिन भी बड़े अनोखे थे। अभी मैं लाइफ बैलेंस करने की कोशिश कर रही हूं। इसमें फिल्में भी कर रही हूं और फैमिली और फ्रेंड के साथ वक्त भी गुजार रही हूं। अपने कॉलेज के दोस्तों से मिल रही हूं और ट्रॉवेल भी कर पा रही हूं। कहते हैं कि जिंदगी सिर्फ अपने सपने और गोल अचीव करने के लिए नहीं होती है, बल्कि किस तरह से जिंदगी चीजों को बैलेंस करके चलते हो, वह मायने रखता है।

आप कई बड़े स्टार के साथ काम कर चुकी हैं, किसी एक फिल्म के साथ जुड़ने या किसी के साथ की अनोखी बात बताएंगी?
मैं जब लव सोनिया कर रही थी, तब डेमी मूरे के साथ काम करने का मौका मिला। डेमी मूरे की फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं। कभी सोचा नहीं था कि उनके साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर पाऊंगी। काफी लोगों को पता ही नहीं है कि लव सोनिया में डेमी मूरे भी थीं। एक हॉलीवुड स्टार के साथ काम करने का वह बहुत अनोखा एक्सप्रीरियंस रहा। सेट पर उनके साथ वक्त बिताना बड़ा यादगार रहा। जिस तरह से वे सेट पर सीन को देखती और परफॉर्म करती हैं, लोगों से बातचीत करती हैं, हम्बल और डाउन टु अर्थ रहती हैं, उन्हें अपने करियर के शुरुआत में इस तरह देखा, तब बहुत कुछ सीखा। मैं उन पलों को कभी नहीं भूल सकती, जब लॉस एंजलिस में डेमी मूर के साथ काम करने का मौका मिला। मैं चाहूंगी कि फ्यूचर में उनके साथ और भी काम करूं, क्योंकि वे गुड एक्टर के साथ बड़ी अच्छी इंसान भी हैं।

आपकी फिल्म जर्सी आने वाली है, यह तेलुगू फिल्म की रीमेक है, क्या आपने वह तेलुगू फिल्म देखी है?


ऑफकोर्स, मैंने वह तेलुगू फिल्म देखी है। वह फिल्म इमोशन के मामले में इतनी बेहतरीन है, उसकी जो रिलेशनशिप इतनी बेहतरीन है, उसे इतने अच्छे से दिखाया गया है, सो उसको देखने के बाद मैंने डिसाइड किया कि इस फिल्म की हिस्सा बनूं। यह स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म जब ऑफर हुई तो उसी दौरान मैं तूफान भी कर रही थी। दिमाग में कहीं न कहीं यह खयाल आ रहा था कि दोनों स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म करूं या नहीं। कहीं रिपिटेटिव न हो जाए। लेकिन इस फिल्म के जरिए मुझे अलग ही शेड्स प्ले करने का मौका मिला है। भले ही तूफान और जर्सी, दोनों ही स्पोर्ट्स बेस्ड फिल्म है। लेकिन सुप्रिया की जर्नी तूफान में अलग है और विद्या की जर्नी जर्सी में काफी अलग है। इतनी अच्छी स्टोरी है कि लोग देखेंगे, तब हर मां-बाप अपने आपको रिलेट कर पाएंगे। मुझे अच्छी स्टोरी का हिस्सा बनना था। जर्सी का ओरिजनल वर्जन फिल्म है, वह मुझे बहुत पसंद आई। मुझे याद है, मैं गोवा में थी। घोस्ट स्टोरी शूट कर रही थी। मुझे यह फिल्म को हां बोलने के लिए 10 से 15 सेकंड लगे। मैंने डायरेक्टर से तुरंत कह दिया कि इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहूंगी।

 

बॉलीवुड में जैसी भूमिका निभाते हैं, अक्सर वैसे रोल ऑफर होने लगते हैं, आप डिफरेंट कैरेक्टर वाली फिल्में कर ही हैं, यह कैसे संभव हो पाया?
यह बात सही है, क्योंकि कहीं न कहीं फिल्मेकर चाहते हैं कि वे भी सेफ प्ले करें। मुझे लव सोनिया के बाद डेढ़-दो साल तक वैसे ही रोल ऑफर किए जा रहे थे। यकीन मानिए, मैंने डेढ़-दो साल तक कुछ नहीं किया। मैं घर पर थी। मैं चाहती थी कि ऐसा रोल प्ले करूं, जो कभी नहीं किया हो। कभी-कभी बुरा भी लगता था कि मैं कोई शूट नहीं कर रही हूं, पैसे नहीं कमा रही हूं, घर पर बैठी हूं। लेकिन वह कहते हैं कि पेशंस जरूरी होता है, क्योंकि आपका बॉडी ऑफ वर्क होता है, वह डिसाइड करता है। मैं चाहती थी कि ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनूं, जो मेरे लिए ही नहीं, कहीं न कहीं लोगों तक पहुंचे और उन्हें प्रेरित करे। मैं आर्टिस्ट हूं, तब चाहती हूं कि अपने दर्शकों को एंटरटेन कर पाऊं। क्योंकि आप रिपिटेटिव बन जाते हैं, तो वे भी एंजॉय नहीं कर पाते।