जम्मू । जम्मू-कश्मीर में साल 2023 में अमरनाथ यात्रा में करीब पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। प्रशासन वर्तमान पंजीकरण के सहारे इस बार 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने का न्यौता देकर इस बार की अमरनाथ यात्रा को जम्मू-कश्मीर के इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने में जुटा हुआ है। पिछले साल करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे। जम्मू में इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए हेलिकाप्टर की आनलाइन बुकिंग सेवा शुरू हो गई है। यह सेवा श्रीनगर, बालटाल और पहलगाम से मिलेगी। इस सेवा के शुरू होने से बुजुर्ग लोगों को विशेष तौर पर राहत मिलेगी। इसके अलावा जिनके पास समय कम है वह भी इसका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि इस बार देरी से आनलाइन हेलिकाप्टर बुकिंग सेवा शुरू हो रही है। इस बीच अढ़ाई लाख से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं और श्राइन बोर्ड ने करंट पंजीकरण के लिए कई काउंटर खोलने की भी घोषणा की है।
राहत यह है कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हेलिकाप्टर टिकट की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की है, पिछले साल की दर्रों पर ही टिकट मिलेगी। बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अब तक ढाई लाख से अधिक श्रद्धालु अग्रिम पंजीकरण करवा चुके हैं। हेलिकाप्टर की बुकिंग मान्यता प्राप्त एजेंटों और अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से होगी। अमरनाथ की वार्षिक यात्रा 30 जून से शुरू हो रही है। पंजीकरण की प्रक्रिया यात्रा के अंत तक जारी रहेगी। अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था जिसमें साधु भी शामिल  हो रहे हैं, यात्री निवास भगवती नगर जम्मू और राम मंदिर जम्मू से 30 जून को रवाना होगा। यात्रा के दौरान हेलिकाप्टर सेवा को छोड़कर दोनों यात्रा मार्ग से रोजाना 15-15 हजार श्रद्धालुओं को रवाना करने की बात कही गई हैं। इसमें 13 वर्ष से कम की आयु 75 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति नहीं है। 
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर बालटाल और पहलगाम और फिर पवित्र गुफा तक सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। इस बार भी ड्रोन और आरएफआइडी यानि रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस से श्रद्धालु सुरक्षा एजेंसियों की आंख से पल भर के लिए भी ओझल नहीं हो सकते हैं। अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने माना था कि इतनी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्याप्क स्तर पर प्रबंध भी आवश्यक हैं। यही कारण था शिवभक्तों के प्रदेश में आने से पहले ही प्रशासन शिवमय हो चुका था।