विभिन्न कारणों से प्रवासी अपने प्रदेश से दूर होते हैं, लेकिन उनका लगाव कम नहीं होता है। राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में लाखों की संख्या से मध्य प्रदेश के लोग निवास करते हैं। अलग-अलग नौकरीपेशा और कारोबार से जुड़े इन लोगों के बीच अभी 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में होने वाले मतदान को लेकर काफी चर्चा है। सबकी अपनी राय है। राय के पर्याप्त कारण है। पूर्व के अनुभव हैं और वर्तमान की बातें हैं। इसी के आधार पर प्रवासी प्रदेश में अपनों को राय-मशविरा दे रहे हैं। 

दिल्ली का लुटियंस जोन में जब मध्य प्रदेश के लोगों से होती है, तो वो लोग मिली जिली राय जाहिर करते हैं। हालांकि, प्रदेश में आधारभूत संरचनाओं के विकास को लेकर खुलकर बात करते हैं। राज्य में बेहतर सड़कों का जाल, बिजली की उपलब्धता, हवाई यातायात में सुधार को लेकर वे खुश होते हैं। बीते दशक में केंद्र में भाजपा सरकार और मध्य प्रदेश में भी भाजपा के ही सरकार में होने से विकास का पहिया तेज चलने की बात करते हैं। इसका लाभ राज्य की जनता को मिल रहा है।
2002-03 में प्रदेश की औद्योगिक विकास दर ऋणात्मक थी जो अब 24 प्रतिशत पर पहुंच गई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में वृद्धि के आधार पर इसकी गण्ना की जाती है। दूसरी बड़ी उपलब्धि यह कि प्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत है, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 71 हजार 594 करोड़ रुपये से बढ़ कर 13 लाख 22 हजार 821 रुपये हो गया है। वर्ष 2001-02 में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार 718 रुपये थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर एक लाख 40 हजार 583 रुपये हो गई है। राज्य की जीएसडीपी की वृद्धि दर विगत एक दशक में राष्ट्रीय जीडीपी वृद्धि दर से अधिक रही है।शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में केन्द्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने मध्य प्रदेश को अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय बना दिया है। अधोसंरचना बजट वित्तीय वर्ष 2002-03 में 3873 करोड़ रुपये था जो वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 56 हजार 256 करोड़ रुपये हो गया है। आज प्रदेश बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। वर्ष 2003 में ऊर्जा क्षमता 5,173 मेगावाट थी, जो बढ़ कर 28 हजार मेगावाट हो गई है।
प्रवासियों की रायशुमारी है कि किसी भी राज्य में होने वाला निजी निवेश उस देश की आर्थिक नीतियों का आइना होती हैं। पिछले पांच वर्षों में मध्य प्रदेश की सरकार ने निजी निवेश को लुभाने में अन्य राज्यों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। वर्ष 2018-19 में देश में होने वाले कुल विदेशी निवेश में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 1.6 फीसद थी जो अब (2022-23) बढ़ कर पांच फीसद हो चुकी है। मध्य प्रदेश का हिस्सा राष्ट्रीय निवेश में साल दर साल बढ़ा है, जो इस राज्य को दूसरे राज्यों से अलग बनाता है। छत्तीसगढ़ में भी निजी निवेश की हिस्सेदारी (देश में होने वाले कुल निजी निवेश के मुकाबले) बढ़ी है और इस दौरान 0.9 फीसद से बढ़ कर 1.4 फीसद हुई है। वैसे राजस्थान का प्रदर्शन भी अच्छा ही कहा जाएगा। वर्ष 2018-19 में कांग्रेस शासित इस राज्य में होने वाला निवेश राष्ट्रीय निजी निवेश का 7.7 फीसद था, जो वर्ष 2022-3 में घट कर 3.1 फीसद हो गई है। लेकिन यह पूरी तस्वीर नहीं है। 
आरबीआइ का डाटा बताता है कि वर्ष 2021-22 में देश में लगाई जाने वाली नई परियोनजाओं की लागत 1,41,496 करोड़ रुपये थी जो वर्ष 2022-23 में बढ़ कर 2,66,547 करोड़ रुपये हो गई है। यह डाटा बताता है कि देश में पिछले वित्त वर्ष देश में जितनी निजी नई औद्योगिक परियोजनाएं लगाई गई हैं उनमें 52 फीसद सिर्फ उत्तर प्रदेश, गुजरात और ओडिशा में लगाई गई हैं। 
प्रवासियों का कहना है कि प्रदेश के विकास के लिए सबसे जरूरी है स्थायी सरकार। कांग्रेस के करीब डेढ़ साल की सरकार की बात पर हर प्रवासी नाक-भौं सिकुड़ता है कि कहने लगता है कि कांग्रेस आपस में ही उलझती रही और राज्य के विकास का पहिया पंचर हो गया था। वो तो बीते तीन साल में भाजपा सरकार ने बेहतर काम किया, वरना राज्य बदहाल हो जाता।