*समय पर उपचार नहीं मिलने से कई बार दम तोड़ देते है पशु* 

*पशु चिकित्सालय में चिकित्सकों और स्टॉप की कमी* 

भैंसदेही पशु चिकित्सा विभाग में चिकित्सक एवं सहायकों की कमी  है। यहां अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक के आधे से अधिक पद लंबे समय से खाली है, ऐसे में पशु पालकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मवेशियों की देखरेख के साथ उनको होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए प्रशासन द्वारा चलाई जा रही योजना भी पूर्ण नहीं हो रही हैं। चिकित्सा विभाग में खाली पड़े पदों के कारण पशुओं का टीकाकरण और सरकार की तरफ से चलाई गई योजनाओं का भी प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा। पशु पालक गोलू  राठौर का कहना है कि चिकित्सकों की कमी के कारण पशुपालकों को कई महत्वपूर्ण जानकारी भी नहीं मिल पाती हैं, जबकि सरकार पशुपालन से संबंधित कई योजनाएं संचालित कर रही है, तो दूसरी तरफ तहसील में चिकित्सकों की कमी आमजन को खल रही है। मिली जानकारी के अनुसार पशु चिकित्सालय भैंसदेही में 10 पद स्वीकृत है, जिसमें से वर्तमान समय एक डॉ. एजे टोप्पो, एवीएफओ, निर्मला पाटीदार और कार्यालय सहायक गणेश सातनरकर पदस्थ है। शेष 7 पद लंबे समय से खाली पड़े है। ऐसी स्थिति में काम आधे-अधूरे स्टॉफ से चलाना पड़ रहा है। इसके बावजूद भी निर्वाचन आयोग द्वारा स्टॉप की ड्यूटी लगा दी। इससे भैंसदेही ब्लाक में पशुओं के स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरीत असर पड़ेगा। 

*पशुधन के उपचार पर पड़ रहा असर* 

पशु चिकित्सालय में स्टॉप की कमी के कारण पशुओं को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण कई बार पशुओं की जान तक चली जाती है और पशु मालिकों को नुकसान उठाना पड़ता है। पशु मालिको का कहना है कि कई बार पशु इतने गंभीर हो जाते है कि उन्हें वाहनों से पशु चिकित्सालय ले जाना पड़ता है। स्टॉफ की कमी के कारण पशु चिकित्सालय में पदस्थ स्टॉफ घर पर नहीं आ पाता है। ऐसे में चिकित्सकों की कमी के कारण पशुओं को समय पर उपचार नहीं मिल रहा और उनकी मौत तक हो जाती है। 

*तीन पर पूरे भैंसदेही ब्लाक की जिम्मेदार* ................

पशु चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर सहित सहायकों के ऊपर पूरे भैंसदेही ब्लाक की जिम्मेदारी है। 4-5 गांवों में एक साथ पशुओं के गंभीर बीमार होने की दशा में उन्हें समय पर उपचार तक नसीब नहीं हो पाता। स्टॉप और डॉक्टरों की कमी के कारण सभी गांवों तक पहुंचना संभव नहीं है। यदि गंभीर पशुओं का उपचार करने पहुंच भी जाते है तो औषधालयों का कार्य प्रभावित होता है। यदि  विभाग प्रमुख घर-घर जाकर उपचार करेगे तो अस्पताल में कोई उपलब्ध नहीं रहेगा। इससे पशुओं को अस्पताल लाने वाले लोगों को परेशानियां उठानी पड़ेगी। 

*इनका कहना है -* 

पशु चिकित्सालय में 10 पद स्वीकृत है, जिसमें से वर्तमान समय डॉक्टर सहित सहायक कुल 3 लोग पदस्थ है। इसलिए घर-घर जाकर इलाज कर पाना संभव नहीं हो पाता है। स्टॉप की कमी के बावजूद हम कोशिश करते है कि किसी पशु की मौत बीमारी से न हो और पशु को समय पर उपचार मिल सके। 
- *अमर ज्योति टोप्पो, पशु चिकित्सक भैंसदेही*