बैतूल ।  मांडवी गांव में पुराने बोरवेल में मंगलवार शाम को गिरा आठ साल का तन्मय जिंदगी की जंग हार गया। करीब 84 घंटे तक चले बचाव अभियान में जुटी टीम ने 10 फीट लंबी सुरंग की खोदाई रात करीब 2 बजे पूरी की और इसके बाद तन्मय के शरीर को बोरवेल से बाहर निकालने का कार्य प्रारंभ किया गया। सुबह 5.30 बजे उसकी बाडी को बाहर निकाला गया और कपड़े में लपेटकर एंबुलेंस से पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल रवाना किया गया। कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस ने बताया कि रेस्क्यू का काम पूरा कर लिया गया है। बाडी एंबुलेंस से जिला अस्पताल पहुंचाई जा रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज ने जताया शोक

मांडवी गांव में बोरवेल में गिरे तन्मय की मौत पर मुख्यमंत्री ने दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि प्रशासन के अथक प्रयासो के बाद भी उसे नहीं बचाया जा सका। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को यह वज्रपात सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। दुःख की इस घड़ी में तन्मय का परिवार स्वयं को अकेला न समझे, मैं और संपूर्ण मध्यप्रदेश परिवार के साथ है। राज्य सरकार की ओर से पीड़ित परिवार को चार लाख रूपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

जिला अस्पताल में किया जा रहा पोस्टमार्टम

तन्मय के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल लाया गया। डाक्टरों की टीम सिविल सर्जन अशोक बारंगा की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कर रही है। तन्मय के माता–पिता ने इस बात को लेकर नाराजगी जताई है कि बोरवेल से बाहर निकालने पर उन्हें बेटे का चेहरा तक नहीं दिखाया गया।

शुक्रवार को पहुंचे थे प्रभारी मंत्री

इससे पहले शुक्रवार को मांडवी पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री इंदर सिंह परमार ने भी माना कि बच्चे को निकालने में देरी हुई है। बचाव कार्य परिणाम मूलक नहीं रहा है। इसके लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बचाव कार्य में समाने आई कमियों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी अवगत करा दिया गया है। उन्होंने तन्मय के परिवार से मुलाकात भी की। इस दौरान मीडिया से चर्चा में प्रभारी मंत्री परमार ने स्वीकार किया कि बचाव के कार्य में परिस्थितियों के कारण देरी हो रही है। कल तक उम्मीद थी कि बोरवेल में फंसे तन्मय को बाहर निकाल लेंगे लेकिन पत्थरों के कारण बचाव कार्य धीमी गति से चल रहा है। बचाव कार्य की योजना में प्रशासनिक कमी के संबंध में परमार ने कहा कि तकनीकी रूप से दक्ष टीम के द्वारा जो भी बताया जा रहा है, प्रशासन भी उसके अनुसार ही कार्य कर रहा है। बचाव कार्य में जो कमी देखी गई है उसके संबंध में मैंने मुख्यमंत्री को जानकारी दे दी है। एक सवाल के जवाब में प्रभारी मंत्री ने कहा कि बोरवेल खुला न छोड़ने के लिए किसानों की पहली जिम्मेदार है। इसके बाद निरीक्षण करने का काम प्रशासन का है। यदि कहीं कमी हुई है और निचले अमले की लापरवाही हुई है, इस पर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी। प्रभारी मंत्री परमार ने तन्मय के स्वजन से भी भेंट की।

तीन फीट दूरी पर मुश्किल में फंसा बचाव दल

एनडीआरएफ और एसडीईआरएफ की टीम द्वारा बोरवेल के समानांतर 46 फीट का गड्डा कर शुक्रवार शाम तक करीब नौ फीट लंबी सुरंग बनाई जा चुकी थी। तन्मय तक पहुंचने के लिए मात्र तीन फीट सुरंग बनाई जानी बाकी रह गई थी, लेकिन इस दौरान मिट्टी धंसने के कारण मशीनों का उपयोग बंद कर हाथों से खोदाई कर मलबा निकालना प्रारंभ किया गया। शुक्रवार को दोपहर में कलेक्टर अमनबीर बैंस भी उस स्थान पर उतरे जहां से सुरंग बनाई जा रही थी। कलेक्टर ने बताया कि लगभग तीन फीट सुरंग की खोदाई शेष रह गई थी। मलबा बाहर निकालने के लिए कुछ देर के लिए काम रोका गया। उन्होंने बताया कि तन्मय के शरीर में कोई हरकत नजर नहीं आ रही है।