*राम सुग्रीव मित्रता के साथ प्रभु राम ने किया बाली वध*

भैंसदेही:-नवयुवक दुर्गा रामलीला मण्डल के तत्वाधान में आयोजित मंचन के सातवें दिन पहले दृश्य में
सीता की खोज में आगे बढ़ते हुए राम लक्ष्मण पम्पापुर पहुंचते है जहां वर्षों से प्रतीक्षा कर रही शबरी की कुटी पहुंचते है और शबरी के द्वारा किये गए आदर-सत्कार से प्रसन्न होते है। प्रभु राम ने शबरी को नवधा भक्ति का सन्देश दिया और सीता खोज में शबरी की सहायता मांगी। शबरी से मार्ग निर्देशन पाकर प्रभु राम चले गए। प्रभु दर्शन से तृप्त शबरी, परम धाम को चली गईं। सुग्रीव दरबार लगता है जिसमे सुग्रीव हनुमान से कहते है की उन्हें कोई आते हुए दिखाई दे रहे है तुम जाओ और देखो कही वे बाली के द्वारा भेजे गए गुप्तचर तो नही सके बाद हनुमान जाते है और राम व लक्ष्मण से परिचय पूछते है उनके परिचय बताते ही हनुमान जी उनके चरण पकड़ लेते है और कहते है कि भगवन मुझे क्षमा करो मैं आपको पहचान नही पाया लेकिन आप भी मुझे नही पहचान सके उसके बाद हनुमान जी दोनों भाइयों को अपने कांधे पर बैठाकर ऋष्यमुख पर्वत पहुचते जहां वे राम और लक्ष्मण को सुग्रीव से मिलवाते हैं और उनकी मित्रता करवाते है। श्रीराम उन्हें आने का मंतव्य बताते हैं। फिर राम सुग्रीव से ऋष्यमुख पर्वत पर रहने का कारण पूछते हैं। सुग्रीव पूरा वृतांत बताते हुए कहते है कि मेरा भाई बाली मेरी पत्नी को हरण कर मुझे अपने राज्य से निकाल दिया है। तब प्रभु श्रीराम सुग्रीव को बाली से युद्ध करने के लिए बोलते हैं। युद्ध के दौरान श्रीराम बाली का वध कर देते हैं। उसके बाद सुग्रीव का राज्यभिषेक किया जाता है।उसके बहुत समय बीत जाने के बाद भी सुग्रीव द्वारा माता सीता की खोज नही की जाती है तब श्रीराम लक्ष्मण से कहते है जाओ और सुग्रीव को उनका दिया हुआ वचन याद दिलाओ जैसे ही लक्ष्मण सुग्रीव के सामने जाते है सुग्रीव उनसे क्षमा याचना करने लग जाता है और तुरन्त वानर सेना को माता सीता की खोज हेतु भेजते है।समुद्र के पास पहुचते ही जामवंत जी हनुमान जी उनकी शक्ति का स्मरण कराते है तब हनुमान जी सीता माता की खोज में सौ योजन समुद्र लांघकर लंकापुरी पहुंचते हैं और लंकिनी का वध करते हुए आगे बढ़ते ।मंच पर हनुमान का अभिनय अतुल ठाकुर और बाली-सुग्रीव का अभिनय शुभम तिवारी,राहुल पाटनकर द्वारा किया गया।