भगवान आदिनाथ का भव्य जन्मोत्सव जुलुस निकालकर मनाया

भगवान आदिनाथ का भव्य जन्मोत्सव जुलुस निकालकर मनाया :- भैंसदेही रात्रि मे महा आरती का जुलुस अरुण मोदी के घर से निकला जो हाथी पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ नाचते गाते कार्यक्रम स्थल पर पंहुचा जहाँ महा आरती की गई। फिर जिनवाणी के बारे मे विस्तार से बताया गया माता मरू देवी ने रात्रि मे सोलह सुन्दर सपने देखे तीसरे दिन सुबह भगवान आदिनाथ का जन्म हुआ। जिसे देखने स्वर्ग लोक से इंद्र सहित सारे देवी देवता बड़े ही लालायित होकर अयोध्या की धरती पर भगवान आदिनाथ को देखने आते है और बड़े प्यार और हर्ष से भगवान आदिनाथ का जन्मोत्सव मनाते है विभव सागर महाराज ने अपने प्रवचन मे कहा की अदृश्य ना होता तो यह दृश्य ना होता। भगवान जो जन्म होकर भी अजन्मा है। यहां पर भगवान की कृपा से रत्न बरस रहे है 63 रत्न बरस चुके है। एक द्रव्य दूसरे द्रव्य को प्रभावित करता है जो द्रव्य बार बार अशुद्ध होकर भी शुद्ध हो जाता है महिमा उसकी होती है जिस प्रकार लोहा अशुद्ध होने पर ख़राब हो जाता है और बार बार शुद्ध करना पड़ता है।परन्तु सोना एक बार शुद्ध हो जाए तो वह अशुद्ध नहीं होता चाहे किसी मे भी डालो अलग ही पहचान आयेगा।इंसान की परीक्षा तो इंसान ले सकता है परन्तु भगवान की परीक्षा लेने की क्षमता किसी इंसान मे है यदि किसी मे थी तो वह आचार्य विधासागर महाराज मे थी। धर्मत्माओ के बिना धर्म नहीं होता है।आज तुम्हारी भैसदेही अयोध्या नगरी हो गई है। क्योंकि आज यहां भगवान आदिनाथ का जन्म हुआ है विभव सागर महाराज ने भगवान आदिनाथ के जन्म को विस्तृत रूप से बताया। जन्मोत्सव का भव्य जुलुस कार्यक्रम स्थल अटल बिहारी वाजपेयी स्टेडियम से बाजे गाजे एवं हाथी पर सवार होकर निकाला गया। जो नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ वापस कार्यक्रम स्थल पंहुचा जुलुस मे जैन समाज के साथ साथ सभी समाज के लोग बड़ी संख्या मे उपस्थित थे। जुलुस की शोभा तो देखते ही बनती थी यह क्षण अविस्मरणीय था।जन्मोत्सव जुलुस मे शामिल होने बैतूल चिचोली से बड़ी संख्या मे श्रद्धालु आये जिन्होंने महाराज विभव सागर जी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और जुलुस मे शामिल हुए।