जबलपुर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम की याचिका का निस्तारण कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कर घोटाले की जांच करने का निर्देश दिया है।  जबलपुर निवासी माइक्रोबायोलॉजिस्ट पूर्णिमा शर्मा एवं अन्य ने जबलपुर नगर निगम द्वारा 2011 में एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम में जो आंकड़े दर्शाए गए थे। उनको चुनौती दी थी। नगर निगम द्वारा बंध्याकरण के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए। किंतु ना तो एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम सही तरीके से चलाया गया। उस में भारी आर्थिक गड़बड़ी भी की गई। 
याचिका में कहा गया था कि नसबंदी का काम एक डॉक्टर ने ही किया है। एक ऑपरेशन में 60 से 90 मिनट का समय लगता है। लेकिन जबलपुर में पदस्थ डॉक्टर पटेल द्वारा 86 ऑपरेशन 1 दिन में करना बताया है। जो किसी तरह से संभव नहीं है। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था, कि नसबंदी के लिए सुविधाएं और उपकरण इत्यादि भी उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण कागजों में नसबंदी करके करोड़ों रुपए का गोलमाल हुआ है।  हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराकर जांच कराने के निर्देश देते हुए याचिका का निराकरण कर दिया।  मध्य प्रदेश के कई नगर निगमों में इसी तरह से एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम में करोड़ों रुपए के घोटाले किए गए हैं। लेकिन किसी तरह की जांच नहीं हो पाने के कारण करोड़ों रुपए का यह घोटाला दबा हुआ है।