*प्रभुश्री राम को केवट ने अपनी नाव से करवाई गंगा पार* 

भैंसदेही:-नवयुवक दुर्गा रामलीला मण्डल भैंसदेही के तत्वावधान में आयोजित रामलीला मंचन के चौथे दिन सखा सुमंत राम लक्ष्मण सीता के साथ वन जाते है। साथ में नगर वासी भी जाते है जिन्हें कुछ दूर जाने के बाद नगरवासीयो को राम छोड़कर चलेजाते है और आगे बढ़ जाते है।आगे उन्हें श्रृंगवेरपुर में निषाद राज मिलते है प्रभु राम लक्ष्मण माता सीता को अपने बीच पाकर निषाद राज कहते है अहो भाग्य मेरे प्रभु जो आप पधारे। निषाद राज प्रभु की खूब सेवा करते है।मंच पर निषाद राज का अभिनय मंच के वरिष्ठ कलाकार शिक्षक धनराज सोनी के द्वारा निभाया गया उनके मंचन के दौरान छोटे छोटे बाल कलाकरो ने अपने नृत्य और संवादों से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा।ततपश्चात निशादराज से श्रीराम गंगा पार जाने के लिये केवट राज से मिलते है और गंगा पार जाने के लिये कहते है। केवट राज गंगा पार जाने के लिये मना कर देते है। श्रीराम के बहुत समझाने के बाद केवट श्रीराम के चरण धोकर नाव में बिठाने के लिए तैयार होता है। माता सीता श्रीराम से केवट के चरण धोने का राज पूछती है। तब प्रभु बताते है कि पूर्व जन्म में यह कछुए के रूप में क्षीरसागर में मेरे चरण स्पर्श करना चाहता था जो इसे उस समय यह सौभाग्य प्राप्त नहीं हो सका था जो यह अब करना चाहता है। केवट राज चरण धोकर अपने को और अपने परिवार को तारते है तथा जगत के पालन हार राम लक्ष्मण सीता को गंगा पार लगाते है। माता सीता केवट का मेहनताना देना चाहती है। जो केवट लेने से मना कर देता है और कहता है कि जब आप वापस आओ तो मेरी ही नाव से जाना श्रीराम केवट को इसी बात का आश्वासन देते है इसके बाद श्रीराम सखा सुमन्त को समझा कर वापस अयोध्या भेज देते है। सखा सुमन्त राजा दशरथ के पास पहुंचकर सारा वृतांत बताते है जिसे सुनकर राजा दशरथ बहुत व्याकुल हो जाते है और राम का ही नाम रटते है। अंत में राजा दशरथ प्रभु से कहते है कि हे
प्रभु मैं आपके धाम को जा रहा हूँ और प्राण त्याग देते हैं।केवट का सुंदर अभिनय शंकर राय के द्वारा निभाया गया जिसकी सराहना दर्शको द्वारा की गई।रामलीला मंचन देखने के लिए भैंसदेही सहित आसपास के क्षेत्रों से भी  दर्शको की भारी भीड़ बाजार चौक प्रांगण पहुँच रही है।