गर्भावस्था में हर रोज महिलाओं को नए अनुभव होते हैं। कुछ उन्हें खुशी देकर जाते हैं तो कभी-कभी उन्हें शरीर में होने वाली समस्याओं से गुजरना पड़ता है। गर्भावस्था में शिशु के विकास के लिए मां का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक होता है। गर्भावस्था की अवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही मां के साथ गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है। इस अवस्था में शरीर का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। इस समय महिलाओं को शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहना आवश्यक होता है। डॉक्टर्स भी गर्भवती महिलाओं को खान-पान का ध्यान रखने के साथ ही हल्का व्यायाम करने की भी  सलाह देते हैं

  • गर्भावस्था के दौरान योग करने से जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। इतना ही नहीं, योग करने से बच्चे के जन्म के दौरान आने वाली परेशानियां भी काफी हद तक कम हो जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि योग करते वक्त आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।
  • गर्भावस्था के दौरान पेट पर बल पर पड़ने वाले और पेट में खिंचाव पैदा करने वाले आसनों को नहीं करना चाहिए जैसे चक्रासन, नौकासन, भुजंगासन, हलासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, भुजंगासन, धनुरासन आदि। इसके अलावा भी आप जो भी योगासन करें उसके बारे में अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।
  • शुरू के तीन महीने में...-  गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के दौरान खड़े रहकर किए जाने वाले आसान योगासन करने चाहिए। इनको करने से पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और शरीर में रक्त का संचार अच्छे से होता है। इसके साथ ही शरीर को ऊर्जा मिलती है और पैरों में होने वाली सूजन व अकड़न भी कम हो जाती है।
  • तीन महीनों के बाद - गर्भावस्था के बीच के तीन महीनों के दौरान थका देने वाले या फिर ज्यादा फुर्तीले आसन करने से बचना चाहिए। बीच के तीन महीनों के दौरान आसनों पर ध्यान देने की बजाय प्राणायाम व ध्यान करना चाहिए।
  • बिल्कुल ना करें योग - गर्भावस्था के चौथे व पांचवे महीने में कोई भी योगासन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह समय गर्भावस्था का सबसे महत्वपूर्ण और नाजुक समय होता है। यदि कर भी रहे हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करें।