यूपीएससी की परीक्षा में आया जंगल सत्याग्रह का सवाल

प्रदीप ने एक करोड़ की लागत से बना दी फिल्म

17 नवंबर को होगा बैतूल में जंगल सत्याग्रह का प्रीमियर 

 

 

बैतूल मप्र lभारत के स्वाधीनता संग्राम की एक अहम घटना थी मध्यप्रदेश के बैतूल से शुरू हुआ जंगल सत्याग्रह । 1930 में  शुरू हुए जंगल सत्याग्रह और उसमें आदिवासी लड़ाकों की वीरगाथा अब पहली बार परदे पर प्रदर्शित होने वाली है । फ़िल्म को बैतूल के ही एक युवक प्रदीप उइके ने बनाया है और इसके बनने के पीछे एक दिलचस्प घटना है । 

देखें फिल्म का टीजर

 

दरअसल फ़िल्म के निर्देशक बैतूल के प्रदीप उइके यूपीएससी की परीक्षा दे रहे थे जिसमें जंगल सत्याग्रह से जुड़ा एक सवाल पूछा गया । प्रदीप को इससे प्रेरणा मिली कि जब जंगल सत्याग्रह की घटना इतनी अहम है तो क्यों का इस पर फ़िल्म बनाई जाए । प्रदीप ने साल 2021 में फ़िल्म का निर्माण शुरू किया था ।  प्रदीप उईके का कहना है की आर्थिक कठिनाइयों के चलते कई लोगों से पैसे उधार लिए और कई लोगों ने आर्थिक मदद भी की जिसके चलते लगभग 1 करोड़ की लागत से फ़िल्म बनकर प्रदर्शन के लिए तैयार है ।

 

 बैतूल में फ़िल्म का प्रीमियर कराया जा रहा है जिसके सभी शो फूल हॉउस हो चुके हैं ।  फ़िल्म में 1920 से 1942 तक का बैकड्रॉप दिखाया गया है । इस दौरान 1930 में महात्मा गांधी बैतूल आए थे जिसके बाद जंगल सत्याग्रह की शुरुआत हुई थी । अंग्रेजी हुकूमत ने जंगल मे मवेशी चराने और घास काटने पर रोक लगा दी थी । आदिवासियों ने जंगल मे घास काटकर सत्याग्रह शुरू किया था ।

 

 फ़िल्म में कुल 80 कलाकारों ने अभिनय किया है और जंगल सत्याग्रह के लगभग 15 आदिवासी  नायकों की वीरता और बलिदान दिखाया गया है । फ़िल्म में जर्मनी के कलाकार रुबेन वेसकोलेक ने भी अभिनय किया है वहीं मुलताई के पूर्व कांग्रेस विधायक सुखदेव पांसे और भैंसदेही के पूर्व विधायक धर्मूसिंग सिरसाम ने भी अभिनय किया है । फ़िल्म के निर्देशक प्रदीप उइके के मुताबिक प्रीमियर के बाद फ़िल्म की थियेटर रिलीज और ओटीटी रिलीज के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं । कुछ वितरकों ने इसमे रुचि दिखाई है । फ़िल्म स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों और जनजातीय समुदाय के योगदान को बताने के मकसद से बनाई गई है ।