नेशनल कंपनी ला अपीलेट ट्रिब्यूनल  ने एक फैसले में कहा है कि स्रोत पर कर कटौती का भुगतान नहीं करने को आधार बनाकर किसी भी कंपनी के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया नहीं शुरू की जा सकती है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की कोलकाता पीठ के एक आदेश को खारिज करते हुए NCLAT ने कहा, 'कंपनी के एक परिचालक कर्जदाता से टीडीएस बकाया की वसूली के इन्साल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड  की प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।'एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुआई वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'टीडीएस का भुगतान नहीं करने के परिणामों का उल्लेख आयकर अधिनियम,1961 में किया गया है और आयकर अधिकारियों के पास इस दिशा में समुचित कदम उठाने की पर्याप्त शक्तियां हैं। पीठ ने कहा कि एनसीएलटी ने इस मामले में टीडीएस नहीं जमा करने को चूक मानते हुए कर्जदार कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देकर 'गंभीर त्रुटि' की है।