भारत दुबई में जारी सीओपी28 के दौरान जलवायु परिवर्तन से प्रभावित विकासशील देशों को मुआवजा देने के लिए हानि और क्षति कोष (एलडीएफ) का दायरा बढ़ाने की वकालत कर सकता है, ताकि उन्हें इसमें समाविष्ट किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। दुबई में गुरुवार को जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन शुरू हुआ। पिछले वर्ष वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी) 27 में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पक्षकारों ने हानि एवं क्षति कोष बनाने पर सहमति दी थी।

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीओपी28 में वैश्विक हानि एवं क्षति कोष को क्रियाशील बनाने पर पूरा ध्यान केन्द्रित रहेगा। इसके अलावा पात्रता अनिवार्यता, धन के स्रोत,और क्या विश्व बैंक प्रारंभिक तौर पर चार वर्ष के लिए इसका अंतरिम ट्रस्टी हो सकता है- इन पर भी विचार विमर्श होगा।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि उम्मीद है कि भारत एलडीएफ का दायरा बढ़ाने की वकालत करेगा और विकासशील देशों को इसमें समाविष्ट करने की अपील करेगा।

अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सीओपी28 में मुख्य रूप से ध्यान 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने पर होगा। भारत इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। यह सम्मेलन गुरुवार से शुरू होकर 12 दिसंबर तक चलेगा। इसमें लगभग 200 देशों के 70,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।

इस जलवायु शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स तृतीय, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ड सिल्वा और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज सहित राष्ट्राध्यक्षों और सरकारों के प्रमुखों के शामिल होने की उम्मीद है।