मचना नदी में फिर जलकुंभी फैली तो उन्मूलन कार्य करेंगे जिम्मेदार
पत्रकार मो. इरशाद की पिटिशन पर न्यायालय ने सुनाया फैसला
बैतूल कलेक्टर सहित सीएमओ नगरपालिका एवं जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री को बनाया था पार्टी
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बैतूल। स्थाई लोक अदालत ने शहर की जीवनदायिनी कहलाने वाली माचना नदी में फैली जलकुंभी को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने जलकुंभी उन्मूलन कार्य करने के लिए बैतूल कलेक्टर सहित सीएमओ नगरपालिका, जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री एवं निर्देशक खरपतवार विज्ञान अनुसंधान को निर्देशित किया है। 
आवेदक मो. इरशाद के अधिवक्ता गिरीश गर्ग ने बताया कि इस मामले में न्यायालय ने आवेदक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए जलकुंभी के उन्मूलन के कार्य करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि वर्तमान में माचना नदी में जलकुंभी नहीं है, इसके बावजूद न्यायालय ने आवेदक इरशाद की पीटीसन को स्वीकार करते हुए आदेश में उल्लेख किया है कि आवेदक का यह आवेदन पत्र आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है तदानुसार आवेदक का यह आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है एवं इस आशय का अधिनिर्णय पारित किया जाता है कि-यदि भविष्य में जलकुंभी पुनः फैलती है तो अनावेदकगण 1 लगायत 4 आपसी सामन्जस्य स्थापित कर जल को प्रदुषित किये बिना उक्त जलकुंभी (खरपतवार) के उन्मुलन का कार्य करेगें।
अधिवक्ता गर्ग ने बताया कि  माचना नदी में विगत वर्ष जलकुंभी पूरी तरह से फैल चुकी थी। इससे पूरी नदी प्रदूषित हो गई थी, इसे हटाने के लिए प्रशासन द्वारा कोई ठोस निर्णय नहीं लेने के चलते शहर के जागरूक नागरिक एवं वरिष्ठ पत्रकार मो. इरशाद ने प्रशासन के आला अधिकारियों को दोषी करार देते हुए इनके खिलाफ जनवरी 2022 में स्थाई लोक अदालत में प्रकरण दायर किया था। 
-- धारा 22-सी विधिक सहायता अधिनियम के तहत अनावेदकों को जारी किया गया था नोटिस--
श्री गर्ग ने बताया कि माचना नदी में जिस समय खरपतवार फैली हुई थी उसी समय मोहम्मद इरशाद ने पिटीशन दायर की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने तत्काल ही धारा 22-सी विधिक सहायता अधिनियम के तहत मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पालिका परिषद बैतूल, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग-2 सदर बैतूल, कलेक्टर बैतूल, निर्देशक खरपतवार विज्ञान अनुसंधान जबलपुर को नोटिस भेजा था। नोटिस में उल्लेख किया था कि आवेदक जागरूक व्यक्ति होकर पत्रकार हैं तथा विभिन्न जन संगठनों से जुड़ा है। बैतूल नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत हजारों व्यक्ति निवासरत हैं तथा बैतूल नगर पालिका अनेक वार्डों में विभाजित है। बैतूल नगर पालिका क्षेत्र अंतर्गत माचना नदी स्थित है। इस नदी के पानी का उपयोग अनावेदक-1 मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा नगर पालिका क्षेत्र में जल प्रदाय हेतु किया जाता है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा जल प्रदाय हेतु माचना नदी में जगह-जगह पर छोटे बांध बनाए जाकर माचना नदी के निरंतर बहाव को रोका जाकर पानी एकत्रित किया जा रहा है।
-- समय रहते जिम्मेदारों ने नहीं किया नियंत्रण--
न्यायालय ने कहा कि माचना नदी के रखरखाव का दायित्व अनावेदकों का है तथा माचना नदी का स्वामित्व भी अनावेदकों का है। जलकुंभी के अत्याधिक फैल जाने से स्पष्ट है कि अनावेदकों द्वारा जलकुंभी पर नियंत्रण ना किया जाकर अपने वैधानिक दायित्वों कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया जा रहा है। जलकुंभी के उक्तानुसार फैलाव से आसपास के क्षेत्रों में मच्छरों का अत्याधिक प्रकोप होकर मच्छरजनित बीमारियां फैलना संभावित भी है। माचना नदी के आसपास घनी आबादी वाले क्षेत्र स्थित है। ऐसी स्थिति में अगर भविष्य में जलकुंभी पुनः माचना में फैलती है तो इसके उन्मूलन का कार्य जिम्मेदार अनावेदकगण करेंगे।