हनुमान ने कराई श्रीराम सुग्रीव मित्रता मै बैरी सुग्रीव प्यारा फिर मुझे क्यों मारा भगवन :- भैंसदेही रामलीला मंचन में सातवे दिन रोज की तरह सूत्रधार के द्वारा श्री गणेश जी की आरती  कर रामलीला मंचन की शुरुआत की जाती है।जहाँ श्रीराम लक्ष्मण पंमापुर पहुंचते है जिन्हे सुग्रीव दूर से देखकर हनुमान को उनका राज लेने भेजते है सुग्रीव को लगता है की भाई बाली ने उसे मारने दो लोगो को भेजा है। हनुमान श्रीराम लक्ष्मण के पास पहुंचकर उनका परिचय जानते है और उनको सुग्रीव से मिलने के लिये लाते है। श्रीराम सुग्रीव का परिचय कराकर दोनों में मित्रता कराते  है मित्रता के बाद श्रीराम बताते है की मै सीता की खोज में यहां आया हूँ। सुग्रीव भी अपने साथ बाली द्वारा किया गया अत्याचार बताते है की मेरी पत्नी को बड़े भाई बाली ने बंधक बनाकर रखा है। तब श्रीराम कहते है की बाली तुम निसंकोच होकर जाओ और बाली से युद्ध करो तब सुग्रीव कहता है की प्रभु बाली को मारना इतना आसान नहीं है। उसे वरदान प्राप्त है की जो भी उसके सामने जायेगा उसका बल आधा हो जायेगा सुग्रीव कहता है की इन सात ताड़ के वृक्षों को एक बान में जो ढायेगा  वो विजय बाली पर पायेगा तब श्रीराम एक बान से सात ताड़ के वृक्षों को गिरा देते है। तब बाली का संसय दूर होता है तब वह बाली से युद्ध करने जाता है बाली के द्वार पर जाकर सुग्रीव बाली को युद्ध के लिये ललकारता है। ललकार सुनकर बाली बाहर आता है और सुग्रीव से बहुत युद्ध करता है सुग्रीव हारकर वापस श्रीराम के पास जाकर कहता है प्रभु आपने तो बाली को मारा ही नहीं आप खड़े खड़े देखते रहे और मैं मार खाता रहा तब राम कहते है की दोनों भाई एक जैसे है इसलिए मै पहचान नहीं पाया अब तुम यह हार पहन कर जाओ जिससे मै तुम्हे पहचान लूंगा और बाली को मार दूंगा। सुग्रीव पुनः जाकर बाली से युद्ध करता है तब ही श्रीराम छिपकर बाली पर बान चला देते है। बाली घायल होकर श्रीराम से कहता है की प्रभु आप तो भगवान हो फिर मुझे छिपकर क्यों मारा मै बैरी और सुग्रीव प्यारा तब श्रीराम कहते है की तुम्हे वरदान था की जो तुम्हारे सामने आयेगा  उसका बल आधा हो जायेगा। फिर तुमने छोटे भाई की पत्नी को अपने पास रखा यह पाप है इसलिए मैंने तुम्हे मारा। तब बाली अपने पुत्र अंगद को श्रीराम को सौपते हुए कहते है की यह बल में मेरे समान ही बलवान है इसको अपनी शरण में ले लो प्रभु उसी समय बाली प्राण त्याग देता गया। बाली की पत्नी और अंगद बहुत विलाप करते है जिसे श्रीराम समझाते है और सुग्रीव से कहते है की बाली तुम्हारा बड़ा भाई था जो पिता के समान होता है अतः बाली का अंतिम संस्कार तुम्ही करो। तब सुग्रीव बाली का अंतिम संस्कार करता है इसके बाद श्रीराम सुग्रीव का राजतिलक लक्ष्मण से करवाते है। इसके बाद सुग्रीव अपनी सेना को माता सीता की खोज में चारो दिशाओ में भेजता है और कहता है की जो भी वानर एक महीने के अंदर माता सीता का पता लगाकर वापस नहीं आया वो मेरे हाथो से मारा जायेगा। तब श्रीराम हनुमान को कुछ चिन्ह के रूप में अपनी अंगूठी देते है। और सीता का पता लगाने का कहते है।अंगूठी लेकर हनुमान वहां से चले जाते है जब सब समुद्र किनारे आते है तब सब कहते है की समुद्र कौन पार करेगा तब जामवंत हनुमान को अपना बल याद दिलाते है बल याद आते ही हनुमान समुद्र लाघ कर लंका आ जाते है जहाँ द्वार पर हनुमान को लांकिनी नाम की राक्षसी मिलती है जिसे हनुमान जी मारते है तब राक्षसी लड़खड़ा जाती है और समझ जाती है की लंका का नाश निश्चित है। इसी समय हनुमान को राम नाम की धुन सुनाई देती है हनुमान जी को बड़ा आश्चर्य होता है हनुमान जी वहाँ पहुंचते है जहाँ उन्हें विभीषण  मिलता है हनुमान परिचय जानकर और अपना परिचय देकर सारी बात बताकर माता सीता का पता पूछते है विभीषण बताते है की आगे अशोक वाटिका है वही पर रावण ने माता सीता को  बरगद के पेड़ के निचे बंधक बना कर रखा है। बाली का सुन्दर अभिनय शुभम तिवारी ने बखूबी निभाया सुग्रीव का अभिनय राहुल पाटनकर द्वारा निभाया गया इनके चाचा द्वारा भी पूर्व में यह अभिनय किया जाता था। हनुमान का महत्वपूर्ण अभिनय अतुल ठाकुर द्वारा बड़े ही सहज ढंग से निभाया जा रहा है। विभीषण का अभिनय दलजीत मनवर द्वारा निभाया जा रहा है। रामलीला मंचन का दृश्य देखकर सभी दर्शक रोमांचित हुए रामलीला देखने रोज दर्शकों की भीड़ उमड़ रही है।