नई दिल्ली । कंपनी में साथ में काम करने वाले प्रदीप ने अपने साथियों के साथ मिलकर रुपये के लालच में अपने सहकर्मी प्रवीण को अगवा कर चार दिनों तक बंधक बनाए रखा। आरोपितों ने उन्हें चारों दिन भूख से तड़पाया और अपनी पैसों की भूख मिटाते रहे। नंबर उगलवाने के लिए उनके शरीर पर तेजाब भी फेंका गया। पुलिस पूछताछ में हत्या में शामिल प्रदीप, अक्षय और विनय ने बताया कि बंधक बनाने के दौरान प्रवीण के पास से डेबिट कार्ड ले लिया गया और अलग-अलग जगह से उनके खाते से प्रतिदिन एटीएम से रुपये निकाले जाते रहे। जब तक उनके खाते में रुपये रहे, तब तक उनकी सांस चलती रही। जब खाते में रुपये नहीं रह गए तो आरोपियों ने गला दबाकर उनकी हत्या कर दी। इसके बाद उनके शव को मेवात के गांव मोहम्मदपुर अहीर में फेंक दिया। वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उनके शरीर के हर अंग पर चोट के निशान पाए गए। सबसे ज्यादा निशान पीठ और पैरों पर मिले। लोहे की सरिया, लाठी डंडे और बेल्ट से बेरहमी से उन्हें पीटा गया। 45 वर्षीय प्रवीण त्रिवेदी मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बांगरमऊ के रहने वाले थे। लखनऊ में रहने वाले उनके बड़े भाई डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि प्रवीण की शादी नहीं हुई थी। प्रवीण 20 साल पहले गुरुग्राम आए थे। उन्होंने कई कंपनियों में काम करने के दौरान एक साल पहले ही आईएमटी मानेसर स्थित रानी पालीमर कंपनी ज्वाइन की थी। नूंह पुलिस ने 10 अक्टूबर को गांव मोहम्मदपुर अहीर से प्रवीण का शव बरामद किया था। लेकिन शव की पहचान न होने पर 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम कराकर शव का अंतिम संस्कार करा दिया गया। शव का बिसरा सुरक्षित रख लिया गया था। जब अक्षय और अन्य आरोपितों ने शव के फेंके जाने की बात स्वीकार की तो सिविल लाइंस थाना पुलिस ने नूंह पुलिस से संपर्क कर शव की पहचान की। इस मामले में थाना पुलिस ने अक्षय को हरिद्वार से पकड़ा था। उसकी निशानदेही पर प्रदीप और विनय को भी गिरफ्तार कर हत्याकांड का पर्दाफाश किया था।