नई दिल्ली । यूरोप, मध्यपूर्व और भारत  एक आधुनिक स्पाइस रूट बनाएंगे। इस योजना से भविष्य में दुबई से इज़राइल में हाइफ़ा तक रेल के जरिए जा सकता है और फिर  यूरोप तक माल ले जाया जा सकता है। इससे धन और समय दोनों की बचत होती है। इस योजना से संभावित रूप से व्यापक भू-राजनीतिक हितों की पूर्ति के साथ-साथ व्यापारिक रिश्तों को प्रोत्साहन मिलेगा। अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों के नेता नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर बैठकों में मिलेंगे और डेटा, रेलवे, बंदरगाह, बिजली नेटवर्क और हाइड्रोजन पाइपलाइनों को जोड़ने की योजना शुरू करेंगे। 
इस योजना से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों को उम्मीद है कि यह भारत के 140 करोड़ लोगों के विशाल बाजार को पश्चिमी देशों के साथ एकीकृत करने में मदद कर सकता है। यह चीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर के खर्च को संतुलित करने, मध्य पूर्वी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने और इज़राइल और अरब खाड़ी राज्यों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में भी मदद कर सकता है।
जब योजनाओं का ब्यौरा घोषित किया जाएगा तो यूरोपीय संघ के नेताओं से यह कहने की उम्मीद की जाती है कि, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकानॉमिक कॉरिडोर ऐतिहासिक से कम नहीं है।
यह  प्रस्तावित प्रोजेक्ट संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल सहित पूरे मध्य पूर्व में रेलवे और बंदरगाह सुविधाओं को जोड़ेगा, जिससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार में 40 प्रतिशत तक की तेजी आएगी। एक शिपिंग कंटेनर जो आज मुंबई से स्वेज नहर के जरिए यूरोप तक ले जाया जाता है, भविष्य में दुबई से इज़राइल में हाइफ़ा तक रेल के जरिए जा सकता है और फिर और यूरोप तक ले जाया जा सकता है। इससे धन और समय दोनों की बचत होती है।
वर्तमान में स्वेज़ नहर विश्व व्यापार के लिए एक बड़ी बाधा है। वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग 10 प्रतिशत इसी नहर के जरिए होता है, लेकिन यह अक्सर व्यवधानों से घिरी रहती है।
मार्च 2021 में एक विशाल कंटेनर जहाज एवर गिवेन के जलमार्ग में तिरछा फंस जाने के बाद स्वेज यातायात में लगभग एक सप्ताह तक रुकावट रही।