देशभर में बिजली की बढ़ती डिमांड को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार को एक इमरजेंसी कानून लागू किया है। केंद्र ने विदेशी कोयले पर चलने वाले कुछ निष्क्रिय पावर प्लांट्स में फिर से प्रोडक्शन शुरू करने के लिए कहा है। इस फैसले के बाद कोयले की ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों की वजह से प्रोडक्शन न कर पा रहे पावर प्लांट्स भी बिजली का उत्पादन कर पाएंगे। इससे पहले गुरुवार को उर्जा मंत्रालय ने सभी राज्यों और बिजली कंपनियों को लेटर लिखा था। इसमें विदेशी कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स को फुल कैपिसिटी के साथ चलाने को कहा गया। केंद्र सरकार के मुताबिक, देश में बिजली की डिमांड में 20% का इजाफा हुआ है। सभी राज्यों और घरेलू कोयले से ऑपरेट होने वाली कंपनियों को जरूरत का कम से कम 10% कोयला इम्पोर्ट करने का निर्देश भी दिया गया है।

देश इस वक्त 6 साल के सबसे खराब बिजली संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में अधिकारी पावर प्लांट्स के लिए कोयले की सप्लाई के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। बिजली की मांग देश में काफी तेजी से बढ़ी है। देश में विदेशी कोयले से चलने वाले 43% से ज्यादा प्लांट निष्क्रिय पड़े हैं। इनकी कुल क्षमता 17.6 गीगावाट (GW) है। ये कुल कोयला बिजली क्षमता का 8.6% है। देश में कोयले की कमी और भारी डिमांड को देखते हुए केंद्र ने राज्य सरकारों को विदेशी कोयले की खरीद के लिए ऑर्डर देने की बात कही है। केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने बताया कि इसके लिए गुरुवार को हुई रिव्यू मीटिंग में राज्यों को निर्देश दिए गए हैं।