इंदौर | भारत सरकार के सड़क,परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सड़क सुरक्षा से जुड़े विषयों पर चिंतन हेतु एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन इंदौर के विजय नगर स्थित ब्रिलियेंन्ट कन्वेंशन में किया गया। इस सेमिनार में देश और विदेश के ख्यातिलब्ध विशेषज्ञों ने शिरकत की जो सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न आयामों पर अपनी विशेषज्ञता रखते हैं। सड़क निर्माण, सिविक सेंस, वाहन निर्माण कंपनी आदि सड़क की सुरक्षा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण भागीदारों ने विस्तार से अपने विचार रखे। इसी क्रम में नर्मदापुरम ही नहीं मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ट्रामेंटोलॉजिस्ट व ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ राजेश शर्मा ने "ट्रामा केअर आफ्टर रोड साइड एक्सीडेंट" अर्थात "सड़क हादसों में आहत होने के बाद ट्रामा केअर" विषय पर एक सत्र में अपने विचार रखे। जिस तेज़ गति से आवागमन के साधन उत्कृष्ट होते जा रहे हैं उसी गति से आधुनिक सड़कों पर यात्रा करने वाले लोगों के जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। इस बात   को ध्यान में रखकर भविष्य में सड़क सुरक्षा को और पुख्ता कैसे किया जाय जैसे विषय को लेकर सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने यह सेमिनार आयोजित किया। नौवे सत्र के अपने उद्धबोधन में डॉ राजेश शर्मा जी ने बताया कि किस प्रकार ट्रामा केअर सड़क सुरक्षा का वह भाग है जो सबसे अंत मे आता है किंतु जिसका सीधा सरोकार आम आदमी के जीवन-मरण से है। डॉ राजेश शर्मा ने "गोल्डन आवर ट्रामा केअर कांसेप्ट" को विस्तार से समझाया जिसमे एक्सीडेंट के स्थान से विशेषज्ञ अस्पताल तक ले जाने का पहला घण्टा  जिसे "गोल्डन आवर" कहते हैं सबसे महत्वपूर्ण होता है। डॉ शर्मा ने कहा कि आम अस्पताल और "ट्रामा सेंटर" में बहुत अंतर होता है। ये कई विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम होती है जो ट्रामा सेंटर पहुंचने वाले आहत की जान बचाती है। अंतराष्ट्रीय सेमिनार में देश विदेश से पहुंचे स्पेशलिस्ट ने अपने विचार रखे।
"सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा बहुत ही संवेदनशील विषय को केंद्र में रखकर इस प्रकार के सेमिनार का आयोजन प्रसंसनीय है, इससे सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्युदर में अवश्य कमी आएगी"
डॉ राजेश शर्मा
ट्रामेंटोलॉजिस्ट एवम ऑर्थोपेडिक सर्जन
नर्मदा अपना अस्पताल
नर्मदापुरम