कई वर्षों से मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाई जाती रही है लेकिन 2012 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई और इसके कुछ वर्ष पहले भी ऐसा ही हुआ था।
वर्ष 2020 में भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई थे। एक समय ऐसा भी आएगा जबकि मकर संक्रांति फरवरी में भी मनाई जाएगी। आओ जानते हैं इसके पीछे का कारण।
उल्लेखनीय है कि यदि 14 तारीख को सूर्य दोपहर के बाद शाम या रात्रि में मकर राशि में गोचर करता है तो फिर उदयातिथि के अनुसार अगले दिन यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है।

ज्योतिष मान्यता के अनुसार सूर्य की गति प्रतिवर्ष 20 सेकेंड बढ़ रही है। इस मान से देखा जाएगा तो करीब 1000 साल पहले 31 दिसंबर को मकर संक्रांति मानाई गई थी और 5000 वर्ष के बाद संभवत: मकर संक्रांति फरवरी की किसी तारीख को मनाई जाए। पिछले 1000 वर्षों में सूर्य दो हफ्ते आगे खिसक गया है। इसीलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाने लगी।

राजा हर्षवर्द्धन के समय में यह पर्व 24 दिसम्बर को पड़ा था। मुगल बादशाह तुर्क अकबर के काल में 10 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई थी। वीर छत्रपति सम्राट शिवाजी के शासन काल में 11 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई गई थी। 2600 में मकर संक्रांति 23 जनवरी को मनाई जाएगी। इसी अनुमान से वर्ष 7015 में मकर संक्रांति 23 मार्च को मनाई जाने लगेगी।