*परे भूमि नहिं उठत उठाए, बर करि कृपासिंधु उर लाए*

भैंसदेही:-नवयुवक दुर्गा रामलीला मण्डल द्वारा आयोजित रामलीला मंचन के पांचवे दिन गणेश वंदना के साथ मंचन प्रारम्भ हुआ जिसमें सूत्रधार सुनील गुरव व दलजीत मनवर द्वारा आरती कर शुरुआत की गई।मंचन में कलाकारों ने राम-भरत मिलाप के दृश्य में ऐसी भावुकता का समावेश किया कि दर्शकों भाव विभोर हो गए।रामलीला मण्डल अध्यक्ष अधिवक्ता संजय तिवारी ने बताया कि सोमवार रात कलाकारों ने बड़ी सुंदरता से रामलीला में राम-भरत मिलाप व शूर्पनखा प्रसंग का मार्मिक मंचन पेश किया। भरत की प्रस्तुति ने दर्शकों की धार्मिक भावनाओं को विव्हलता से पूरिपूर्ण कर दिया भरत का अभिनय नगर के उभरते कलाकार गौरव राठौर के द्वारा किया गया जिसे दर्शको द्वारा सराहा गया।अपने ननिहाल से वापस आने के बाद ही भरत ने माता कैकयी के प्रस्ताव को ठुकराते हुए आग्रह किया कि मां के दूध की मर्यादा में बंधा हूं अन्यथा उनके कृत्य ने सम्मान की पात्रता समाप्त कर दी है। उन्होंने अपनी मां से राजा बनने से इनकार कर दिया और अपने अग्रज से मिलने नगरवासियों के संग चित्रकूट रवाना हुए। भरत के संग नगरवासियों को आते देख लक्ष्मण क्रोधित हो जाते है। उन्हें लगा कि भरत प्रभु श्रीराम से युद्ध करने के लिए आ रहे है, यह सोच लक्ष्मण क्रोधित हों जाते है।तब प्रभु श्रीराम ने उन्हें समझाया। भरत प्रभु के पास पहुंचकर उनके चरण को पकडकऱ रोने लगे और राजपाट संभालने की विनती की, लेकिन जब वे नहीं माने तो उनकी चरण पादुकाओं को शिरोधार्य कर भरत ने रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने की जिस पात्राता को अभिनीत किया उसने सभी दर्शकों को अश्रुपूरित करा दिया और जब भरत अपने सिर पर राम की खड़ाऊ लेकर चले तो दर्शकों की आंखें कई बार नम हुई। राम-भरत मिलाप के बाद रामलीला में सूर्पनखा की नाक काटने का बहुत ही सजीवता से मंचन किया गया। रावण की बहन सूर्पनखा एक सुंदर नारी के रूप में आई और श्रीराम-लक्ष्मण का रूप देखकर उनसे विवाह करने की जिद करने लगी। सूर्पनखा विवाह के लिए लक्ष्मण के पीछे पड़ गई।जब वह नही मानते है तो सूर्पनखा सीता पर हमला करती है जिस कारण गुस्से में लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काट दी।और वह विलाप करते हुए वहां से निकल जाती है सुपर्णखा का सुंदर अभिनय मंच के जाने माने कलाकार सुरेश चौहान द्वारा निभाया गया।